Published By:धर्म पुराण डेस्क

नौ ग्रह शांति मंत्र, व्रत, पूजन, रत्न..

रविवार का व्रत करें।

माणिक्य रत्न धारण करें।

गेहूं, गाय, गुड़, तांबा व माणिक्य तथा लाल वस्त्र का दान दें।

पौराणिक मंत्र:

ॐ जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।

तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।

वेद मन्त्र:

ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मंत्र्यांचा।

हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।। ऊँ सूर्याय नमः।।

बीज मंत्र:

ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।।

जप संख्या – सात हजार

समय – रविवार प्रातः सूर्योदय काल

ग्रह पूजा मंत्र – ऊँ ह्रीं सूर्याय नमः।।

यह मंत्र बोलते हुए सूर्य को पूजा सामग्री समर्पित करें। अर्घ्य दें।

चंद्रमा की अनुकूलता के लिए शिव की आराधना करें।

सोमवार का व्रत करें।

मोती रत्न धारण करें।

चावल, मोती, श्वेत वस्त्र, घी, शंख का दान दें।

पौराणिक मंत्र:

ॐ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।

नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम्।।

वेद मन्त्र:

ऊँ इमं देवा असपत्नं सुवध्वं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते

जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय इमममुष्य पुत्रमस्यै

पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।। ऊँ चन्द्राय नमः।।

बीज मंत्र:

ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः।।

जप संख्या – 11000

समय – सोमवार संध्याकाल

ग्रह पूजा मंत्र – ऊँ ऐं क्लीं सोमाय नमः।।

यह मंत्र बोलते हुए चंद्रमा का पूजन करें।

मंगल की अनुकूलता के लिए मंगलवार का व्रत करें।

शिवजी की स्तुति करें।

तांबा, सोना, गेहूं, गुड़ लाल चंदन व वस्त्र का दान करें।

पौराणिक मंत्र:

ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् ।

कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम् ।।

वेद मन्त्र:

ॐ अग्निर्मूर्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्या अयम्।

अपां रेतां सि जिन्वति।। ऊँ भौमाय नमः।।

बीज मंत्र:

ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।।

जप संख्या – 10000

समय – सूर्योदय बाद

ग्रह पूजा मंत् – ऊँ हूं श्रीं मंगलाय नमः।।

यह मंत्र बोलते हुए मंगल प्रतिमा अथवा यंत्र का पूजन करें।

बुध की अनुकूलता के लिए बुध व अमावस्या का व्रत करें।

श्री गणेश जी का पूजन करें।

कांसा, हाथी-दांत, हरा वस्त्र, मूंग, घी व पन्ने का दान दें।

पौराणिक मंत्र:

ॐ प्रियङ्गुलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्।

सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।।

वेद मन्त्र:

ऊँ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते स सृजेथामयं च

अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।। ऊँ बुधाय नमः।।

बीज मंत्र:

ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।

जप संख्या – 9000

समय -संध्या से पूर्व

ग्रह पूजा मंत्र – ऊँ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय नमः।।

यह मंत्र बोलते हुए बुध प्रतिमा अथवा यंत्र का पूजन करें।

गुरु की अनुकूलता के लिए गुरुवार का व्रत करें।

बृहस्पति देव व गुरु की पूजा करें।

सोना, हल्दी, पीली चीजें दान में दे।

पुखराज रत्न धारण करें।

पौराणिक मंत्र:

ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरूं काञ्चनसंन्निभम्।

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

वेद मन्त्र:

ऊँ बृहस्पते अति यदर्यो अहद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।

यदीदयच्छवस ऋत प्रजात। तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।। ऊँ बृहस्पतये नमः।।

बीज मंत्र:

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

जप संख्या – 19000

समय – संध्या काल

ग्रह पूजा मंत्र – ऊँ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः।।

यह मंत्र बोलते हुए गुरु प्रतिमा अथवा यंत्र का पूजन करें।

शुक्र की अनुकूलता के लिए शुक्रवार का व्रत करें।

गौ पूजन और चांदी, सोना, चावल व श्वेत वस्त्र का दान दें।

पौराणिक मंत्र:

ॐ हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्।

सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।

वेद मन्त्र:

ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः।

ऋतेन सत्यम् इन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।। ऊँ 

शुक्राय नमः।।

बीज मंत्र:

ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।।

जप संख्या – 16000

समय – सूर्योदय काल

ग्रह पूजा मंत्र – ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नमः।।

यह मंत्र बोलते हुए शुक्र प्रतिमा अथवा यंत्र का पूजन करें।

शनि की अनुकूलता के लिए शनि का व्रत करें।

महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।

काला वस्त्र, पुष्प, काली गाय, जूते, तिल-उड़द का दान दें।

नीलम रत्न धारण करें।

पौराणिक मंत्र:

ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।

छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

वेद मन्त्र:

ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।

शं योरभि स्रवन्तु नः ।। ऊँ शनैश्चराय नमः।।

बीज मंत्र:

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।

जप संख्या – 23000

समय – संध्या काल

ग्रह पूजा मंत्र – ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः।।

यह मंत्र बोलते हुए शनि प्रतिमा अथवा यंत्र का पूजन करें

राहु की अनुकूलता के लिए मंगल, शनि व सोमवार का व्रत करें।

शिवजी की पूजा करें या महामृत्युंजय का जप करें।

फिरोजा रत्न धारण करें।

पौराणिक मंत्र:

ॐ अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्य विमर्दनम्।

सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।

वेद मन्त्र:

ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृधः सखा।

कया शचिष्ठया वृता।। ऊँ राहवे नमः।।

बीज मंत्र:

ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।।

जप संख्या – 18000

समय- रात्रिकालीन

ग्रह पूजा मंत्र – ऊँ ऐं ह्रीं राहवे नमः।।

केतु की अनुकूलता के लिए मंगल, शनि व सोम का व्रत करें।

भगवन शिव का पूजन करें।

तिल, काली ध्वजा, अनाज, लोहा, तेल व कंबल का दान दें।

लहसुनिया रत्न धारण करें।

पौराणिक मंत्र:

ॐ पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्।

रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।।

वेद मन्त्र:

ऊँ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपनयशसे।

ऊँ केतवे नमः।।

बीज मंत्र:

ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।।

जप संख्या – 17000

समय – रात्रिकाल

किसी भी ग्रह की पूजा व मंत्र जप के बाद नवग्रह पूजा व नवग्रह मंत्र जप अवश्य करें।

नवग्रह मंत्र:

ॐ सं सर्वारिष्ट निवारणाय नवग्रह भ्यो नमः।।


 

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