आधिभौतिक दुःख, आधि दैविक दुख तथा आध्यात्मिक दुख से मुक्ति के लिए शांति जरूरी है. शांति के लिए हमें आध्यात्मिक बनना पड़ेगा. आध्यात्मिकता सबके अंदर है, इसे जगाना पड़ेगा,
अहिंसा सर्वोच्च धर्म है, अहिंसा और अनेकांतवाद शांति के आधार हैं. जैन धर्म के मूलाधार अपरिग्रह, अहिंसा और अनेकांतवाद से ही विश्व में शांति कायम की जा सकती है.
हमें शांति के लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिये, क्योंकि मनुष्य में स्वार्थी और लोभी बनने की प्रवृत्ति है, शांति क्षमा से ही संभव है. न्याय के बिना शांति संभव नहीं है लेकिन बदला लेने से क्षमा करना अच्छा है. हमें एक नयी संस्कृति के लिए प्रयास करना चाहिये जिसमें सभी धर्म योगदान कर सकते हैं.
हमें शांति की संस्कृति विकसित करनी चाहिये. आज बच्चों के खिलौने तक हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाले हैं. आज की परीक्षा प्रतियोगिता पर आधारित है जिसका मूल मंत्र है प्रतिस्पर्धा करो, हराओ और जीतो. प्रतियोगिता में हिंसा के बीज छिपे हैं. धर्म दया सिखाता है.
इतिहास हमें बताता है कि युद्ध से कभी भी शांति नहीं आती. युद्ध से युद्ध की श्रृंखला शुरू होती है. हिंसा से हिंसा की श्रृंखला शुरू होती है. हम सब गुनाहगार हैं और उसका इस्तेमाल अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए करते हैं. स्वार्थों को पूरा करने के लिए करते हैं.
आज समाज और दुनिया को शांति की आवश्यकता है. आध्यात्मिकता से ही शांति हासिल की जा सकती है. दुनिया किसी भी जगह और किसी भी रूप में हिंसा और युद्ध का विरोध किया जाना चाहिये, दुनिया में शांति स्थापित करने की जरूरत है.
युद्ध से और हिंसा भड़कती है. दुनिया के सभी धर्म शांति की वकालत करते हैं. कुरान में किसी भी मजहब के खिलाफ एक भी शब्द नहीं है. बल्कि कुरान में ही कहा गया है कि सभी पैगंबरों का समान रूप से आदर किया जाना चाहिये. दुनिया के सभी धर्म शांति, अहिंसा और विश्व बंधुत्व की बात करते हैं. इनमें आपसी संवाद की जरूरत है.
बाइबिल में ईश्वर की प्रार्थना करने के विभिन्न तरीके हैं. विविधता प्रकृति का कानून है. सभी शांति की शिक्षा देते हैं. धर्म का शांति के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. हम सबको शांति के लिए आतंकवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ काम करना चाहिये.
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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