मनुष्य के जीवन में ज्ञान सबसे बड़ी उपलब्धि है सवाल यह है कि यह ज्ञान कैसे हासिल किया जाए। ज्ञान हासिल करने के यूं तो अनेक तरीके हैं लेकिन बाहरी सोर्सेस से प्राप्त किया गया|
ज्ञान सिर्फ जानकारी है ज्ञान अंदर से उपस्थित है ज्ञान को ऊपर जाने के लिए व्यक्ति को अपनी आंतरिक शक्ति जागृत करनी पड़ती है और वही आंतरिक शक्ति उसे ज्ञान प्रदान करती है इस आंतरिक शक्ति के जागरण के लिए गुरु सियाग संजीवनी मंत्र बहुत आसान विधि है इस गुरु सियाग मंत्र के निरंतर जाप से कुछ ही दिनों में आंतरिक शक्ति जागृत हो जाती है कुछ साधकों में तो कुछ ही मिनट में संजीवनी मंत्र से आंतरिक शक्ति जागृत हो जाती है।
॥ज्ञान की उपासना कीजिए॥
ज्ञान से ही मनुष्य संसार में सुख पाता है और इसकी कमी से बंधन में आकर दुख उठाता है। जिसका ज्ञान पूर्ण सफलता उसका ही साथ देती है। ज्ञान में दोष आने से असफलता की बहुलता से मनुष्य दुःखी रहा करता है। इस संसार में ज्ञान से बढ़ कर कोई भी पवित्र वस्तु नहीं है।
यह आत्मा का स्वाभाविक गुण है। परमात्मा ज्ञान स्वरूप है। जब ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान का अंधकार दूर हो जाता है, तब जन्म-मरण के बंधनों से रहित हो, मनुष्य मुक्ति-मार्ग का यात्री बन अपने आप को परमात्मा को अर्पण कर देता है।
हम बाह्य-विषयों में जिस सुख को ढूंढना चाहते हैं, वह वस्तुतः सत्-असत् की यर्थाथतः पहचान, अपने उपयोग की वस्तुएं ग्रहण करना तथा अनुपयुक्त का त्याग है। यह सब ज्ञान से ही संभव हैं। यह ज्ञान, स्वाध्याय और सत्संग से प्राप्त होता है।
सद्ग्रन्थों का अध्ययन करते रहना तथा ज्ञानियों का सत्संग-समय और सुविधा के अनुसार प्राप्त करना, मनुष्य जीवन को सुधारने के लिए अति आवश्यक है। जिस समाज या देश में यथार्थ ज्ञानियों की जितनी ही अधिक संख्या होगी, उसकी उतनी ही अधिक आत्मोन्नति हो सकेगी और अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त होगा।
(ऋषि चिंतन के सानिध्य में)
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