Published By:धर्म पुराण डेस्क

एक विचारक की कब्र के पास से कितने ही मनुष्य निकले। उस मकबरे के पास एक गरीब बूढ़ा रहता था, जो इस मकबरे को गुजरने वाले सभी लोगों को ये बोर्ड दिखा रहा था।
बहुत से गरीब इंसान यहां से गुजरे, लेकिन अमीर बनने के लिए उन्हें कब्र खोदना पसंद नहीं था और उनका मानना था कि वे इतने गरीब नहीं हैं कि उन्हें इस तरह से धन के लिए किसी की कब्र खोदना पड़े।
एक विदेशी सम्राट ने इस देश पर विजय प्राप्त की। प्रदेशों को जीतकर वह इस मकबरे पर आया। कब्र पर लेख पढ़कर वो खुश हो गया। 'बहुत खूब! कब्र में असली धन के ढेर होंगे। ओह ऐसा धन अनायास ही मिल जाएगा। मैं कितना भाग्यशाली हूँ। '
अब एक पल की देरी भी बर्दाश्त के बाहर थी। सम्राट ने तुरंत मकबरा खोदना शुरू कर दिया, लेकिन मकबरे में धन के बजाय उसे एक विशाल पत्थर मिला और उस पर लिखा था –
'दोस्त ! क्या तुम वाकई इंसान हो जो मरे हुओं को सताता है उसे इंसान क्यों कहा जाना चाहिए? मैंने उन्हें तो देखा है जो धन के लिए जीवितों को मारते हैं, लेकिन जो मरे हुओं को सताता है वह केवल तुम ही हो। '
अभिमानी सम्राट अपमानित हुआ। कब्र में कुछ भी न पाकर निराशा हुई। कब्र के पास रहने वाला गरीब बूढ़ा आया और बोला।
'ओह! सालों से धरती के सबसे गरीब व्यक्ति को देखना चाहता था। मुझे आज वह मिला।'
आज मनुष्य ने धन के पीछे अंधी दौड़ लगा दी है और इसलिए उसकी बाहरी संपत्ति बढ़ती जा रही है और अंदर से गरीब होता जा रहा है। उसने धन की खोज में खुशी खो दी है। सत्ता की तलाश में उसने शांति खो दी है। पैसे के बिना गरीबी नहीं होती, लेकिन बिना इंसानियत के इंसान जैसा गरीब, बेसहारा और लाचार कोई नहीं होता।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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