Published By:धर्म पुराण डेस्क

महर्षि वाग्भट के नियमों में से एक महत्वपूर्ण नियम है दिन की शुरुआत में जीवन्त प्राण का उपयोग करना (दिनचर्या क्रिया)।

जब आप सुबह उठते हैं, तो सबसे पहले जीवन्त प्राण (आयाम श्वास) का उपयोग करना चाहिए।

आप इसे निम्नलिखित ढंग से कर सकते हैं:

आयाम श्वास: अपनी आँखें बंद करें और गहरी साँस लें। इसे आहिस्ता से करें और श्वास को संचालित करने के लिए ध्यान केंद्रित करें। यह आपको शांति और चेतनता की अनुभूति कराएगा।

प्राणायाम: कुछ मिनट के लिए प्राणायाम का अभ्यास करें। आप अपनी प्राणायाम तकनीक चुन सकते हैं, जैसे कि अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका, यौगिक श्वास आदि।

मेडिटेशन: ध्यान करने के लिए कुछ समय निकालें। ध्यान में बैठकर मन को शांत करें और अपने अंतरंग शांति को अनुभव करें।

जीवन्त प्राण का उपयोग करने से आपको मानसिक और शारीरिक ताजगी मिलेगी, दिनभर की गतिविधियों को सकारात्मक ढंग से निभा सकेंगे, और आपको स्वास्थ्य और उत्साह की वृद्धि होगी। इसलिए, इस महर्षि वाग्भट के नियम का पालन करने से आप स्वस्थ और रोग मुक्त रह सकते हैं।

महर्षि वाग्भट के नियमों का पालन करके हम रोग मुक्त रह सकते हैं। इस नियम के अनुसार, जब हम सुबह उठते हैं, तो सबसे पहले हमें जीवाणु नाशक औषधि का सेवन करना चाहिए। इसे "ब्रह्म मुहूर्त" में किया जाना चाहिए, जो भोर के समय होता है, लगभग सूर्योदय से 1.5 घंटे पहले। यह जीवाणुओं को मारती है और हमें सुरक्षा प्रदान करती है।

जीवाणु नाशक औषधि का सेवन करने के लिए, आपको अदरक का रस या नींबू का रस ले सकते हैं। आप यह दोनों एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं। इसे रोग नाशक औषधि के रूप में जाना जाता है और यह आपको विभिन्न रोगों से बचाने में मदद कर सकता है।

यह सुबह की प्रथम क्रिया आपकी रोग मुक्ति और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। इसके अलावा, आपको स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए जिसमें सही आहार, योग, ध्यान, निद्रा और नियमित शारीरिक गतिविधियां शामिल हों।

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