Published By:धर्म पुराण डेस्क

पहले घुट में ही क्षतिग्रस्त होने लगते हैं अंग

नशे की लत शरीर के साथ-साथ दिमाग की सेहत पर भी बुरा असर डालती है। स्वास्थ्य के लिहाज से इस लत का होना धीरे-धीरे जिंदगी को खत्म करना ही है। जानिए कैसे शराब आपके शरीर को भीतर से क्षतिग्रस्त करती जाती है।

डॉ. संजीव नाइक के अनुसार ..

जब आप शराब का पहला घुट भरते हैं उसके मात्र 30 सेकेंड्स के भीतर अल्कोहल उसके दिमाग तक पहुंच जाता है। यह उन सभी रसायनों और कार्यप्रणालियों को धीमा कर देता है जिनका उपयोग दिमाग की कोशिकाएं संदेश भेजने के लिए करती हैं। इसकी वजह से आपके मूड में परिवर्तन आ जाता है, आपकी रिफल्क्सेस धीमी पड़ जाती हैं और संतुलन गड़बड़ा जाता है। आपकी सोचने-समझने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और याददाश्त कमजोर हो जाती है।

दिमाग सिकुड़ जाता है-

लम्बे समय तक लगातार शराब पीते रहने से दिमाग सिकुड़ सकता है। इससे शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने की प्रक्रिया पर भी बुरा असर पड़ता है। यह नींद की स्थिति पर भी बुरा असर डालता है। आपका शरीर रात भर अल्कोहल को प्रोसेस करता रहता है। इस वजह से नींद बार-बार उचटती है और कई बार आपको बाथरूम जाने के लिए भी उठना पड़ सकता है।

कमजोरी और नॉशिया-

हृदय की धड़कनों का असंतुलन ..

अल्कोहल का अधिक सेवन दिल की धड़कनों को सामान्य रखने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नलों को असामान्य बना देता है। रोजाना अल्कोहल के सेवन से यह परिवर्तन स्थाई होने लगता है। लंबे समय में यह दिल की मांसपेशियों को ढीला और फैला हुआ बना देता है। इससे खून ठीक से पम्प नहीं हो पाता। 

अल्कोहल का नियमित सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, हार्मोन्स में असंतुलन पैदा करने लगता है, श्रवण क्षमता को कमजोर बनाने लगता है और हड्डियों तथा मांसपेशियों को भी कमजोर कर देता है।

अल्कोहल शरीर में पानी की कमी कर देता है और शरीर तथा दिमाग की खून की नसों को चौड़ा कर देता है। इसके कारण सिर दर्द होने लगता है। आपका पेट अल्कोहल से मिले टॉक्सिन्स से निजात पाना चाहता है और आपको नॉशिया और उल्टी की शिकायत होने लगती है। खून में शकर की कमी होने लगती है जिसकी वजह से कमजोरी और कंपकंपी आने लगती है।

किडनी का होता है बुरा हाल ..

दिमाग उस हार्मोन को असंतुलित करने लगता है। जो किडनियों को बहुत अधिक मात्रा में पेशाब बनाने से रोकता है। ऐसे में बार-बार बाथरूम जाने की जरूरत महसूस होती है। इससे डिहाइड्रेशन तो होता ही है, लम्बे समय में किडनियों की सेहत भी बिगड़ जाती है।

लिवर हो जाता है तार-तार ..

अल्कोहल को तोड़ने और आगे बढ़ाने की प्रक्रिया, में लिवर को कई सारे टॉक्सिन्स यानी जहरीले तत्वों को झेलना पड़ता है। समय के साथ अल्कोहल लिवर को फैटी (फूला हुआ बना देता है) और इसके आस-पास मोटे, फाइबर से भरे ऊतकों का जमाव हो जाता है। इससे खून के बहाव में दिक्कत होने लगती है। 

कोशिकाएं पोषण के अभाव में खत्म होने लगती है, लिवर पर खरोंच पड़ने लगती हैं और सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी पनप जाती है। शराब लिवर को तार-तार कर देती है।

डायबिटीज घेर लेती है ..

पैंक्रियाज यानी अग्नाशय का काम होता है। इंसुलिन तथा अन्य रसायनों का निर्माण। अल्कोहल इसमें बाघा खड़ी करने लगता है। इस अंग में सूजन आ जाती है और क्षति होने लगती है। मतलब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता और डायबिटीज की स्थिति आ जाती है। यह स्थिति आगे जाकर पैंक्रियाटिक कैंसर में भी तब्दील हो सकती है।

एसिडिटी बढ़ती है ..

अल्कोहल से पेट की अंदरूनी दीवार पर इरिटेशन बन जाता है और पाचक जूस तेजी से उत्पन्न होने लगता है। अल्कोहल और पाचक रस के मिल जाने से नॉशिया जैसी अनुभूति होती है और उल्टी भी हो सकती है। 

लम्बे समय तक शराब पीते रहने से पेट में अल्सर हो जाते हैं। छोटी आंत और कोलोन यानी मलाशय पर बुरा असर पड़ने लगता है। इनमें से भोजन के गुजरने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इससे डायरिया और सीने में जलन या एसिडिटी जैसी तकलीफ होने लगती है।

छुटकारा कैसे पाएं ..

शराबखोरी से छुटकारा पाने के लिए दृढ मानसिक ताकत की जरूरत होती है। शराब की लत से पीड़ित शरीर नशा टूटने पर हर शाम ठीक उसी वक्त नशे की मांग करने लगता है। मानसिक ताकत बढ़ाने के लिए खुद पर अनुशासन लगाना पड़ता है। इसकी शुरुआत धीरे-धीरे होती है। 

कई सामाजिक संस्थाएं हैं जो शराब छुड़वाने में मरीज की मदद करती है। शराब मुक्ति का एक निश्चित तरीके से वैज्ञानिक अनुसंधानों के आधार पर इलाज किया जाता है। इसमें मरीज की शारीरिक और मानसिक मजबूती को तैयार किया जाता है। इसके लिए दवाओं का भी सहारा लिया जाता है। 

ध्यान और योगाभ्यास के साथ प्राकृतिक चिकित्सा भी शराबखोरी की लत से मुक्ति दिला सकती है।


 

धर्म जगत

SEE MORE...........