हम सभी पृथ्वी पर अपना समय बिताने आते हैं, लेकिन ईश्वर ने हमें यहां रहने के लिए ही नहीं बनाया है। जीवात्मा जगत हमारा असली घर है, जहां हम अपनी आत्मा को सच्चाई की दिशा में बढ़ाते हैं।
पृथ्वी पर हम अनुभव और सीखने के लिए जाते हैं, परंतु जब हम जीवात्मा जगत में लौटते हैं, तो हमें यहां के असली घर की याद आती है। यहां हम अपनी असली पहचान को पहचानते हैं, अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं, और उच्चतम सत्य की ओर बढ़ते हैं।
पृथ्वी पर हम स्थानीय अनुभवों को जीते हैं, जबकि जीवात्मा जगत हमें अनंत सत्य की ऊँचाइयों तक ले जाता है। यहां हम अपने अद्वितीय धरोहर को समझते हैं, जो हमें शांति और प्रेम की ओर प्रेरित करता है।
पृथ्वी के लोग यहां के बारे में याद नहीं रखते, परंतु जीवात्मा जगत में हम अपनी असली पहचान को पहचानते हैं और इसे हमेशा याद रखते हैं। ईश्वर ने हमें यहां के अनुभवों से वंचित रखकर हमें आत्मा की अमिट धरोहर की दिशा में अग्रसर किया है।
इस प्रकार, जीवात्मा जगत हमारा असली घर है, जहां हम सच्ची आत्मा की अद्भुतता को अनुभव करते हैं और अपनी सच्ची पहचान को पहचानते हैं। यह हमें उच्चतम सत्य की ओर ले जाती है, जहां हम शांति, प्रेम, और आनंद के साथ अपने असली घर की यात्रा का आनंद लेते हैं।
लेखक बुक “अद्भुत जीवन की ओर”
भागीरथ एच पुरोहित
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