Published By:धर्म पुराण डेस्क

1862 को हुई थी पचमढ़ी की खोज

मध्यप्रदेश का सबसे चर्चित पर्यटक स्थल और धार्मिक आस्था का केन्द्र पचमढ़ी अपनी अनेक विशेषताओं के लिए जाना पहचाना जाता है। 

सन् 1862 में एक अंग्रेज कप्तान की नजर में आई पचमढ़ी की हसीन वादियों ने रिसॉर्ट का रूप लिया तभी से इसके विकास की गाथा शुरू हुई।

पचमढ़ी क्षेत्र कोरकू जागीरदार के कब्जे में था। बंगाल से अंग्रेज कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने यहां की ऊंची पहाड़ियों से इसे निहारा तो देखते ही इसे रिसॉर्ट के रूप में बसाने का प्रण कर लिया था। 

पचमढ़ी का नाम महाभारत काल में अस्तित्व में आया जब पांच पांडव द्रोपती के साथ यहां स्थित एक गुफा में प्रवास के लिए ठहरे। तभी से इसे पचमढ़ी कहा जाने लगा। इसके अलावा दो बड़े धार्मिक मेले, और अकूत वनस्पति औषधियों के प्रचुर भंडार यहां भरा पड़ा हुआ है।

ग्रीष्मकालीन राजधानी रही है पचमढ़ी ..

तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जमाने में पचमढ़ी को मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया था। गर्मियों में यहां पूरी कैबिनेट लगती थी समय के साथ परिवर्तन हो गया है अब ऐसा नहीं हैं।

अखिल भारतीय स्तर के कार्यक्रमों का प्रमुख केन्द्र ..

पर्यटक स्थली पचमढ़ी प्रमुख राष्ट्रीय दलों के चिंतन का प्रमुख केन्द्र हैं। भाजपा और कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति में ही तय होती हैं।

अखिल भारतीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के चिंतन शिविर पचमढ़ी में ही आयोजित होते हैं। इसके अलावा भारत स्काउड गाईड शिविर, पचमढ़ी उत्सव एवं अन्य अखिल भारतीय स्तरीय कार्यक्रमों का पर्यटक स्थली प्रमुख केन्द्र हैं।

साल में लगते है दो बड़े मेले ..

पर्यटक स्थली पचमढ़ी भगवान शिव की अराधना का प्रमुख केन्द्र हैं। यहां महाशिवरात्रि पर महादेव मंदिर पर और नागपंचमी पर नागद्वार में धार्मिक मेला लगता है। लाखा श्रद्धालुओं की मन्नते भोले के दरबार में पूर्ण होती है। इसका उदाहरण है महादेव में लगे आस्था के त्रिशूल। 

नागद्वार तक दुर्गम 25 किमी की कठिन पद यात्रा के बाद भक्त नागद्वार के दर्शन करते हैं। वही महाशिवरात्रि पर महादेव मंदिर की लगभग 1300 सीढ़ियां और दुर्गम रास्ता महाराष्ट्रीयन तय करके मन्नते मांगने पहुंचते हैं।

जेम्स फोर्सिथ ने की थी पचमढ़ी की खोज ..

ब्रिटिश शासन काल में कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने पचमढ़ी  की वादिया का दौरा किया। उसी दौरान दूरबीन से इस धार्मिक स्थल को उन्होंने देखा। उसी समय उन्होंने पचमढ़ी को रिसॉर्ट बनाने का संकल्प लिया जिसे आज पर्यटक स्थली के रूप में देश और दुनिया में जाना जाता हैं।

125 दर्शनीय स्थल मौजूद हैं ..

पांडव गुफा और बीफाल जैसे दर्शनीय स्थल के साथ हनुमान गुफा, लश्करियां खो, निम्बू भोज, जटाशंकर अटाके, सिढिया घाटी, बारीआम, झील, दरमर्रा नाला, नाकिन खड, पनारपानी, कुप्पीलेन, मंजू श्री, ढानानट, खर्राकोट, देनवा खड, रॉकडो, छोटी अन्होनी, बड़ी अन्होनी, घोडा अवसारी, मालादेव, एकांत गिरी, चौरागढ़, बड़ा महादेव, छोटा महादेव, गुप्त महादेव, यह सब पचमढ़ी से लगे 125 स्थान ऐसे है यहां भ्रमण किया जाए तो हर स्थान की विशेषता अवश्य मिलती हैं।

सेना शिक्षा कोर सेंटर ..

मध्यप्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी कहलाने वाली पचमढ़ी का मध्यप्रदेश के नक्शे में अलग ही महत्व है। यहां विग्रेड का सैनीटोनियम और सेवा शिक्षा कोर प्रशिक्षण कालेज और केन्द्र भी हैं। रशियन, अफगानी, पश्तो, ईरानी, चीनी भाषा सहित अनेक देशों की भाषाओं को सीखने का प्रमुख केन्द्र है।

वनस्पति पौधों का भंडार है ..

पचमढ़ी में वनस्पति पौधों की भरमार है जो असाध्य बीमारियों के लिए अमृत समान हैं। आयुर्वेदिक वैध और जानकारी बड़ी संख्या में पचमढ़ी के जंगलों में लगी जड़ी बूटियों को ले जाते हैं। 

महादेव जंबूद्वीप देनवा नदी के आसपास पनारपानी तथा पावस प्रपात के आसपास जड़ी बूटियों का भंडार मौजूद हैं। यहां के जंगलों की विशेषता है कि यहां आज भी 1 हजार साल पुराने वृक्ष भारत के इतिहास के गवाह बने हुए हैं।


 

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