ऐसे लोग विदेश यात्रा को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं।
कई बार लोग विदेश यात्रा को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं। हस्तरेखा दिखाकर विदेश यात्रा के बारे में पूछना चाहिए। विदेश में जीविकोपार्जन करना भी कई लोगों का सपना होता है। विदेश यात्रा के योग हाथ में होते हैं।
यदि विदेश यात्रा का योग हाथ में हो तो जातक विदेश अवश्य जाता है। विदेश यात्रा के लिए चंद्र ग्रह और चंद्र पर्वत का प्रमुख योगदान है।
प्राचीन ज्योतिष और हस्त समुद्रशास्त्र में चंद्रमा को समुद्री यात्राओं या जल का कारक माना गया है। चंद्रमा को मन का कारक भी माना जाता है। यदि हमारी हथेली में चंद्रमा की स्थिति अच्छी न हो तो व्यक्ति का ध्यान भटकता रहता है। उसके मन में उथल-पुथल रहती है। चंद्रमा भी परिवर्तन देता है।
ऐसा जातक कोई भी कार्य ठीक से नहीं कर सकता क्योंकि उसका चन्द्रमा अशुभ होता है। वह जल्दी ऊब जाता है। हथेली में चंद्र पर्वत विकसित हो और अन्य रेखाएं शुभ हों तो व्यक्ति की विदेश जाने की इच्छा पूरी होती है।
चंद्र पर्वत और दोष रेखाएं मनोकामना पूर्ति में बाधक हैं। चंद्र पर्वत पर छोटी रेखाएं छोटी और कम लंबी यात्राओं का संकेत देती हैं। ये दौरे घरेलू और विदेश दोनों जगह हो सकते हैं। कलाई से चंद्र पर्वत तक जाने वाली रेखाएं विदेश यात्रा का संकेत देती हैं।
यदि हमारी हथेली में मत्स्य (मछली) का निशान हो तो हमें विदेश से धन की प्राप्ति होती है। चन्द्र पर्वत पर मछली का चिन्ह विदेश से आय का संकेत देता है। यदि जीवन रेखा से चंद्र पर्वत तक कोई रेखा हो तो जातक विदेश में व्यापार या नौकरी करता है, लेकिन अंततः देश वापस आ जाता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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