Published By:धर्म पुराण डेस्क

मानसिक अशांति और शारीरिक व्याधियों से मुक्ति देता है पारद शिवलिंग

पारद शिवलिंग:-

शिव पुराण में बताया गया है कि शिवलिंग शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक है। इसी कारण सब लोग शिव के लिंग (निराकार) और मूर्ति (साकार) दोनों की ही भगवान शिव की पूजा करते हैं। आकार सहित व निराकार होने से ही भगवान शिव को ब्रह्म कहा जाता है। 

भगवान शिव पहले स्तम्भ रूप में प्रकट हुए, फिर साक्षात रूप से। स्तम्भ रूप में प्रकट हुआ लिंग ही बाद में छोटा हो गया और दर्शन, स्पर्श तथा ध्यान के माध्यम से प्राणियों को जन्म और मृत्यु के कष्टों से छुटकारा दिलाकर मोक्ष का साधन बन गया।

शिवलिंग का निर्माण धातु, पत्थर, रत्न, सोना, चांदी, तांबा, अष्टधातु, काष्ठ, मिट्टी आदि से किया जाता है। पारे से बना शिवलिंग बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है तथा इसकी स्थापना मकान, घर, दुकान, कार्यालय तथा वाहन आदि में की जाती है। यह बहुत पवित्र माना जाता है, तथा घर में रखने पर जल चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती। इसके नित्य दर्शन से अनेक पापों का नाश होता है। 

साढ़े साती शनि राहु की दशा, कालसर्प योग तथा आंशिक कालसर्प योग से प्रभावित व्यक्तियों के लिए यह श्रेष्ठ फलदायक पाया गया है। 

मानसिक अशांति तथा शारीरिक व्याधियों को दूर करके यह आर्थिक समृद्धि देने में सक्षम होता है। इसके सामने ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप तुरंत फलदायी होता है।


 

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