 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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लेखिका एलिजाबेथ हरलॉक ने 'डेवलपमेंटल साइकोलॉजी' में कहा है कि बच्चों के शारीरिक, भावनात्मक और बौद्धिक विकास के लिए खेलना बेहद जरूरी है। बचपन के शुरुआती सालों में बच्चे का बिहेवियर पैटर्न, एटीट्यूड और इमोशनल एक्सप्रेशन का निर्माण शुरू हो जाता है।
यूनिसेफ द्वारा किए अनुसंधान व अध्ययन' में भी पता चला है कि खिलौना बच्चे के विकास का अहम हिस्सा है। खेलने के लिए बच्चे को एकाग्रता की जरूरत पड़ती है। इससे उसकी प्रॉब्लम सॉल्विंग, डिसीजन मेकिंग और लर्निंग स्किल का विकास होता है।
खेलने से बच्चे के दूसरे बच्चों व अपने माता-पिता के साथ संबंध भी इम्प्रूव होते हैं। खेलकूद के दौरान बच्चे अनुशासन का पालन करना, अपनी बारी का इंतजार करना, दूसरों को मौका देना, सहयोग करना, नियमों का पालन करना, समझौता करना और विवादों को निपटाना जैसी बातें सीखते हैं।
ब्रेन का स्टीमुलेशन-
खेलने से ब्रेन का स्टीमुलेशन होता है। खेल और खिलौने, सोचने-समझने, कल्पना शक्ति, प्लानिंग आदि की क्षमता में इजाफा करते हैं ऐसा कई वैज्ञानिक अध्ययनों में प्रमाणित हो चुका है। बच्चों का विकास एक लंबी प्रोसेस है जिसमें मोटर स्किल, सोशल व इमोशनल बिहेवियर डेवलपमेंट, कॉग्निटिव डेवलपमेंट आदि शामिल है। बच्चे का बौद्धिक विकास उसके माहौल में स्टीमुलेशन की डिग्री पर निर्भर करता है। यह स्टीमुलेशन उसे दूसरे लोगों से इंटरैक्ट करने व खेलकूद आदि फिजिकल एक्टिविटी से मिलता है।
मोटर स्किल : फिजिकल एक्टिविटी के लिए-
खिलौने एक टूल की तरह काम करते हैं। खिलौनों से खेलते हुए बच्चों की दिमागी सेल्स एक्टिव हो जाती हैं। खिलौने बच्चों को हाथ, पैर आंखें और कान इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करते हैं। ताकि वो उनके आकार, रंग, आवाज आदि को महसूस कर सकें और पहचान सकें। इसी प्रकार उनके पीछे दौड़ने और उछलने- कूदने से वे फिजिकली एक्टिव भी रहते हैं।
खिलौने हों पारंपरिक-
खिलौने बच्चों के चहुंमुखी विकास में सहायक होते हैं लेकिन इनकी संख्या कम होनी चाहिए। 'इन्फेंट बिहेवियर डेवलपमेंट' में प्रकाशित एक शोध की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब बच्चों को सीमित संख्या में खिलौने दिए जाते हैं तो वे उनसे अच्छी तरह खेलते हैं और उनका अच्छी तरह अवलोकन करते हैं।
एक खिलौने से लंबे समय तक खेलने से बच्चों में फोकस करने की क्षमता और क्रिएटिविटी बढ़ती है। जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन की मैगजीन में छपे अनुसंधान की रिपोर्ट में कहा गया है कि गुड़िया और ब्लॉक जैसे ट्रेडिशनल खिलौने बच्चों में लैंग्वेज डेवलपमेंट में सहायक होते हैं।
 
 
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