हिंदू पंचांग के अनुसार 11 अगस्त को भाई-बहनों का पवित्र त्योहार राखी मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। वहीं हिंदू धर्म में मौली को बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा माना जाता है, क्योंकि इसे कलाई के चारों ओर बांधा जाता है। इसलिए इसे कलावा कहते हैं। जिसे आमतौर पर इसे उप मणिबंध वैदिक नाम से जाना जाता है। रक्षाबंधन में राखी की जगह कलावा भी बांधा जा सकता है। आइए जानते हैं इससे जुड़े आध्यात्मिक कारण क्या हैं।
सबसे पहले इंद्र की पत्नी सची ने इंद्र को रक्षा सूत्र बांधा था।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, पहले देवता इंद्र की पत्नी सची ने वृत्रासुर के साथ देवराज इंद्र के युद्ध में सबसे पहले इंद्र को रक्षा सूत्र बांधा था। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में जब भी कोई युद्ध में जाता था तो कलावा या मौली बांधकर पूजा की जाती थी।
राजा बलि ने भगवान वामन को बांधा था कलावा
एक अन्य कथा के अनुसार दान से पहले असुर राजा बलि ने यज्ञ में भगवान वामन के हाथ पर एक रस्सी बांधी थी। उसके बाद वामन देव ने तीन पग भूमि दान कर दी और प्रसन्न होकर उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर अमरत्व का वचन दिया।
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