भगवान गणेश को विदाई देने के अगले दिन 10 सितंबर पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष प्रारंभ होगा। इस बार पितृ पक्ष 15 दिनों के बजाय 16 दिनों का है। पितृ पक्ष में पितरों का स्मरण किया जाता है, उनके प्रति सद्भाव आदर और सम्मान व्यक्त किया जाता है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार प्रत्येक घर में पितरों को आमंत्रित करके नदी-तालाबों में अर्पण-तर्पण किया जाएगा।
भारतीय वैदिक वांग्मय के अनुसार प्रत्येक मनुष्य पर इस धरती पर जीवन लेने के पश्चात तीन प्रकार के ऋण होते हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। इन तीन प्रकार के ऋणों में, पितृ ऋण को महत्ता प्रदान की गई है।
पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण पूरे परिवार में सुख, शांति और प्रगति लाता है। पितरों की पूजा न करने से पूरा परिवार उनके क्रोध का शिकार हो जाता है और संघर्षों और असफलताओं का सामना करता है। पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध अवश्य करने की बात धर्मशास्त्रों में कही गई है।
शास्त्रों में पितृ ऋण से मुक्ति पाने का सबसे उत्तम उपाय बिहार के गया में श्राद्ध-पिंडदान करना माना गया है। इसके साथ ही ओडिशा के जाजपुर और आंध्रप्रदेश के पीठापुरम में भी पितरों को श्राद्ध, तर्पण आदि किया जा सकता है यही कारण है कि इन तीनों को त्रिया पितृ तीर्थ भी कहा जाता है।
श्राद्ध भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है और इस बार पितृपक्ष 10 सितंबर से शुरू होगा। पितृपक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पितरों से संबंधित शुभ कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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