Published By:धर्म पुराण डेस्क

पितृ पक्ष: जानिए, तिथि-पूजा विधि और क्या है श्राद्ध का महत्व 

पितृ पक्ष में पितरों का स्मरण किया जाता है, उनके प्रति सद्भाव आदर और सम्मान व्यक्त किया जाता है।

पितृपक्ष में पूर्वजों द्वारा किए गए कार्यों को भी स्मरण किया जाता है। पितृ पक्ष में पितरों को स्मरण करने से जीवन में आने वाली बाधाएं परेशानियां दूर होती हैं और पितरों का वरदान प्राप्त होता है लेकिन ये पूर्ण रूप से तभी मुमकिन है जब पितृपक्ष से जुड़ी बातों की सही जानकारी हो। 

सनातन शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म में ब्रह्मयज्ञ, पितृयज्ञ, देवयज्ञ, भूतयज्ञ और मनुष्ययज्ञ के बारे में वर्णन किया गया है। माना जाता है कि ये 5 प्रकार के यज्ञ मनुष्य के लिए ज़रूरी हैं। इसके साथ ही मनुष्य के ऊपर तीन तरह के ऋण भी वर्णित किये गए हैं। जिन्हें उतारना आवश्यक होता है। 

इन तीन प्रकार के ऋणों में, पितृ ऋण को महत्ता प्रदान की गई है। शास्त्रों में पितृ ऋण से मुक्ति पाने का सबसे उत्तम उपाय बिहार के गया में श्राद्ध-पिंडदान करना माना  गया है। हिंदू धर्म में पूर्वजों को भी देवता माना जाता है और यही कारण है कि पितृपक्ष में पितरों की पूजा का बहुत महत्व है। पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू हो रहे है। तो आइए जानते हैं श्राद्ध और तर्पण की तिथियां और पूजा सामग्री सूची।

पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण पूरे परिवार में सुख, शांति और प्रगति लाता है। पितरों की पूजा न करने से पूरा परिवार उनके क्रोध का शिकार हो जाता है और संघर्षों और असफलताओं का सामना करता है। पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध अवश्य करें।

श्राद्ध भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है और इस बार पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू होगा. पितृपक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पितरों से संबंधित शुभ कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं श्राद्ध तिथि, महत्व, विधि और सामग्री की पूरी सूची।

पितृ पक्ष और सर्व पितृ अमावस्या तिथि का प्रारंभ..

पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 से शुरू होकर 25 सितंबर 2022 को सर्व पितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगा। पितृ पक्ष में मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध किया जाता है। यदि किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात नहीं है तो ऐसे में अमावस्या तिथि के दिन श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।

पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां-

पूर्णिमा श्राद्ध - 10 सितंबर 2022,

प्रतिपदा श्राद्ध - 10 सितंबर 2022,

द्वितीया श्राद्ध - 11 सितंबर 2022,

तृतीया श्राद्ध - 12 सितंबर 2022,

चतुर्थी श्राद्ध - 13 सितंबर 2022,

पंचमी श्राद्ध - 14 सितंबर 2022,

षष्ठी श्राद्ध - 15 सितंबर 2022,

सप्तमी श्राद्ध - 16 सितंबर 2022,

अष्टमी श्राद्ध - 18 सितंबर 2022,

नवम श्राद्ध - 19 सितंबर 2022,

दशमी श्राद्ध - 20 सितंबर 2022,

एकादशी श्राद्ध - 21 सितंबर 2022,

द्वादशी श्राद्ध - 22 सितंबर 2022,

त्रयोदशी श्राद्ध - 23 सितंबर 2022,

चतुर्दशी श्राद्ध - 24 सितंबर 2022,

अमावस्या श्राद्ध - 25 सितंबर 2022,

पितृ पक्ष पूजा में रखें इन बातों का ध्यान..

- किसी ब्राह्मण से पितरों की पूजा कराएं और यदि यह संभव न हो तो आप स्वयं श्राद्ध कर्म (पिंडदान, तर्पण) कर सकते हैं।

- श्राद्ध कर्म करने के बाद ब्राह्मणों, गायों, कुत्तों, कौओं और चींटियों को भोजन कराएं।

- हो सके तो गंगा नदी के तट पर श्राद्ध संस्कार करें। यदि संभव न हो तो आप इसे घर पर भी कर सकते हैं।

- भोजन के बाद जरूरतमंदों को दक्षिणा दान करें।

- पूजा में अनजाने में हुई किसी गलती के लिए पितरों का स्मरण करें और उनसे क्षमा मांगें।

श्राद्ध पूजा की सामग्री:

रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, चावल, जानोई, कपूर, हल्दी, देशी घी, माचिस, शहद, काले तिल, तुलसी के पत्ते, सुपारी, जौ, हवन सामग्री, गुड़, मिट्टी का दीपक, रूई, धूप दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, चावल, मूंग, गन्ना।


 

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