 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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कामयाबी के लिए जितना जरूरी है लक्ष्य का निर्धारण, उससे कहीं ज्यादा जरूरी है कोशिश। बल्कि यहां यह कहना अत्युक्ति नहीं होगा कि लक्ष्य तय होने के बाद जीत के लिए कोशिश भरपूर होना जरूरी है।
यहां भरपूर से आशय भरसक और अथक प्रयास से है, बिना नागा और निरंतर प्रयत्न से है, यत्न में परिपूर्णता और संपूर्णता से है। जो ज्यादा से ज्यादा का भाव व्यक्त करता है।
आशय यह कि हमारी कोशिश तभी रंग ला सकती है, जब हमारा प्रयास परिपूर्ण व संपूर्ण हो। इसमें कोई कोर कसर न रहे। आकाश-पाताल एक किया हुआ हो। तभी कामयाबी वरण करेगी। उसके सूरज का उदय होना अवश्यंभावी हो जाएगा। इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है।
चुनाव सही हो :
लक्ष्य ऐसा हो जो रुचिकर व मनपसंद हो, जिसे करने में आनंद की अनुभूति हो तब तो आप उसे खेल-खेल में प्राप्त कर लेंगे क्योंकि वह आपका पसंदीदा काम है।
इसके बावजूद किसी के कहने पर दूसरे की पसंद का लक्ष्य अपने लिए निर्धारित कर लिया, तो आपको उसे पाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। इसलिए स्वयं चुनें वही आपके लिए हितकर रहेगा।
छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं ..
तयशुदा लक्ष्य को पाने का यह भी एक सरल तरीका है कि आप अपने बड़े लक्ष्य को छोटे-छोटे लक्ष्यों में विभाजित कर दीजिए और कामयाबी का वरण करिए। कामयाब होने के लिए इससे अच्छा उपाय नहीं है कि समूचे लक्ष्य को लक्ष्य-खंडों में विभाजित कर दिया जाए।
आखिरी दम तक प्रयास न छोड़ें कभी-कभी ऐसा होता है कि लक्ष्य प्राप्ति में आने वाली कठिनाइयों से हम जूझते तो हैं लेकिन उसे उस वक्त छोड़ने लगते हैं जब शायद आखिर और उचित प्रयासों की जरूरत होती है।
इसलिए प्रयास कभी न छोड़ें क्योंकि कभी-कभी हमारा आखिरी छोड़ा हुआ प्रयास ही अन्य के लिए सफलता का पायदान बन जाता है।
 
 
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