स्त्री जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों में से एक, जो कई सारे परिवर्तनों से होकर गुजरता है। नौ महीने का यह समय हर पल नए अनुभव से दो-चार कराता है। ऐसे में कुछ सामान्य शारीरिक परिवर्तन भी कई बार जानकारी न होने पर गर्भवती महिला को चिंता में डाल देते हैं। राउंड लिगामेंट पेन भी इसमें शामिल है।
-डॉ. नमिता शुक्ला स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के अनुसार …
तीखा सा दर्द-
आमतौर पर गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में होने वाला यह दर्द तीखा गहरा होता है या चाकू सी चुभन सा महसूस हो सकता है। यह अधिकांशत: पेट के निचले हिस्से या ग्रोइन (पेडू और जांघ का जोड़) में एक तरफ या दोनों तरफ हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाली यह सबसे आम शिकायत है।
दर्द का कारण-
यूट्स या गर्भाशय को आसपास से ढेर सारे मोटे लिगामेंट्स घेरे और सपोर्ट देते हैं। बच्चे के विकास के कारण आकार बढ़ने से गर्भाशय के लिए लिगामेंट्स का यह घेरा बहुत महत्वपूर्ण होता है। इन्हीं में से एक लिगामेंट राउंड लिगामेंट कहलाता है।
यह लिगामेंट गर्भाशय के सामने के भाग को ग्रोइन से जोड़ते हैं। ये लिगामेंट आमतौर पर धीरे-धीरे टाइट और फिर रिलेक्स होता है। जैसे-जैसे शिशु और गर्भाशय का आकार बढ़ता है, उसके साथ ही ये लिगामेंट्स भी स्ट्रेच होते हैं। इसके कारण इनमें तनाव पैदा होने लगता है। ऐसे में अचानक होने वाली कोई भी हलचल इन लिगामेंट्स को तेजी से टाइट कर देती है। इसी के कारण अचानक खिंचाव का एहसास होता है।
घबराएं नहीं, इलाज करें-
यह दर्द गर्भावस्था का एक हिस्सा है इसलिए इससे घबराने की बजाय इसकी आशंका को कम करने और पूरे नौ महीनों को भरपूर खुश रहकर बिताने के प्रयास करें। यदि दर्द अधिक हो तो डॉक्टर से सलाह लेकर दर्द निवारक का सेवन किया जा सकता है लेकिन दर्द के लंबे समय तक रहने या अन्य लक्षण उभरने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
विशेषज्ञ की सलाह से नियमित व्यायाम करें, अचानक तेजी से खड़े होने, बैठने आदि जैसे मूवमेंट से बचें, लिगामेंट्स में खिंचाव न पड़े इसके लिए छींकते, खांसते या हंसते समय कूल्हों को झुका लें।
डाइट और टोंड बॉडी है फायदेमंद-
गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने, शरीर का आकार बदलने और शरीर के अंदरूनी लिगामेंट्स पर अतिरिक्त दबाव पड़ने से दर्द या खिंचाव का महसूस होना सामान्य बात है। चूंकि सेकंड ट्राइमेस्टर (दूसरी तिमाही) तक शिशु का शरीर भी गर्भ में विकास कर रहा होता है,
अतः थोड़ा दर्द या असहजता सामान्य है। इस अवस्था में भरपूर लिक्विड तथा पोषक भोजन का सेवन बहुत मददगार होता है। साथ ही डॉक्टर की सलाह से सही व्यायाम को अपनाने से भी बॉडी टोंड रहती है जिससे तकलीफ का असर कम हो सकता है।
यह आगे भी आपके और शिशु दोनों के काम आता है। यदि दर्द की स्थिति ज्यादा समय रहती है या इसके साथ अन्य लक्षण भी उभरते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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