मनुष्य जब रजो-तमोगुण जीवन जीता है, तो मति नीचे के केन्द्रों में, हलके केन्द्रो में पहुँच जाती है । मति जब नीचे चली जाती है, तब लगता है कि झूठ बोलने में, कपट करने में सार है, कोर्ट कचहरी जाना चाहिए… आदि-आदि ..!
श्रद्धा बनी रहे उसके लिए क्या करना चाहिए ? अपनी श्रद्धा, स्वास्थ्य और सूझबूझ को बुलंद बनाये रखने एवं विकसित करने के लिए अपना आहार शुद्ध रखें । यदि असात्त्विक आहार के कारण मन में जरा भी मलिनता आती है तो श्रद्धा घटने लगती है ।
अत: श्रद्धा को बनाये रखने के लिए आहार शुद्धि का ध्यान रखें । पवित्र संग करें, सत्संग में जायें एवं पवित्र ग्रंथों का अध्ययन करें ।
अगर आपके मन में किसी के लिए बुरे विचार आते हैं, तो सामने वाले का अहित हो या न हो परंतु आपका अंत:करण जरुर मलिन हो जायेगा । फलस्वरूप मन में अशांति उत्पन्न होगी जो सब दुखों का कारण है ।
यदि आपके मन में किसी के प्रति ईर्ष्या होती है, तो उसके पास जाकर कह दें कि “मुझे माफ करें, आपको देखकर मुझे ईर्ष्या होती है । आप भी प्रार्थना करें और मैं भी प्रार्थना करें ताकि आपके प्रति मेरी ईर्ष्या मिट जाए |”
कोई आपका कितना भी बुरा करना चाहे पर आप अगर सावधान होकर उसके लिए अच्छा ही सोचो और उसकी भलाई का ही चिन्तन करो तो कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा । बुरा सोचनेवाले के विचार भी बदल जायेंगे। उसका दुष्प्रयोजन सफल नहीं हो पायेगा ।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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