Published By:धर्म पुराण डेस्क

हिंदू धर्म में पुराणों का विशेष महत्व है। इन पुराणों में माता के शक्तिपीठ का वर्णन है ..

पुराणों के अनुसार देवी सती के शरीर के अंग, वस्त्र और आभूषण जहां भी गिरे, वे माता के शक्तिपीठ बन गए। ये शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। 

देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठ हैं। जबकि देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का उल्लेख है। आइए, जानते हैं कहां है यह शक्ति पीठ....

तन्त्रचूडामणि में पीठों की संख्या बावन दी गई है, शिवचरित्र में इक्यावन और देवी भागवत में एक सौ आठ। कालिकापुराण में छब्बीस उपपीठों का वर्णन है। पर साधारणतया पीठों की संख्या इक्यावन मानी जाती है। इनमें से अनेक पीठ तो इस समय अज्ञात हैं।

तन्त्रचूडामणि में पीठों की संख्या बावन दी गई है, शिवचरित्र में इक्यावन और देवीभागवत में एक सौ आठ। कालिकापुराण में छब्बीस उपपीठों का वर्णन है। पर साधारणतया पीठों की संख्या इक्यावन मानी जाती है। इनमें से अनेक पीठ तो इस समय अज्ञात हैं। 

तन्त्रचूडामणि के अनुसार बावन पीठों की संख्या इस प्रकार है:- 

1. हिंगलाज, 

2. शर्कररे (करवीर), 

3. सुगंधा- सुनंदा, 

4. कश्मीर- महामाया, 

5. ज्वालामुखी- सिद्धिदा (अंबिका), 

6. त्रिपुरमालिनी - जालंधर, 

7. वैद्यनाथ- जयदुर्गा, 

8. नेपाल- महामाया, 

9. मानस- दाक्षायणी, 

10. विरजा- विरजाक्षेत्र, 

11. गंडकी- गंडकी, 

12. बहुला- बहुला (चंडिका), 

13. उज्जयिनी- मांगल्य चंडिका, 

14. त्रिपुरा- त्रिपुर सुंदरी, 

15. चट्टल - भवानी, 

16. त्रिस्त्रोता- भ्रामरी, 

17. कामगिरि- कामाख्या, 

18. प्रयाग- ललिता, 

19. जयंती- जयंती, 

20. युगाद्या- भूतधात्री, 

21. कालीपीठ- कालिका, 

22. किरीट- विमला (भुवनेशी), 

23. वाराणसी- विशालाक्षी, 

24. कन्याश्रम- सर्वाणी, 

25. कुरुक्षेत्र- सावित्री, 

26. मणिदेविक- गायत्री, 

27.श्रीशैल- महालक्ष्मी,

28. कांची- देवगर्भा, 

29. कालमाधव- देवी काली, 

30. शोणदेश- नर्मदा (शोणाक्षी), 

31. रामगिरि- शिवानी, 

32. वृंदावन- उमा, 

33.शुचि- नारायणी, 

34. पंचसागर- वाराही, 

35. करतोयातट- अपर्णा, 

36. श्री पर्वत- श्री सुंदरी, 

37. विभाष- कपालिनी, 

38. प्रभास- चंद्रभागा, 

39. भैरवपर्वत- अवंती, 

40. जनस्थान- भ्रामरी, 

41. सर्वशैल स्थान, 

42. गोदावरीतीर, 

43. रत्नावली- कुमारी, 

44. मिथिला- उमा (महादेवी), 

45.नलहाटी- कालिका तारापीठ, 

46. कर्णाट- जयदुर्गा, 

47. वक्रेश्वर- महिषमर्दिनी,

48.यशोर- यशोरेश्वरी, 

49.अट्टहास- फुल्लरा, 

50. नंदीपूर- नंदिनी, 

51. लंका- इंद्राक्षी एवं 

52.विराट- अंबिका।


 

धर्म जगत

SEE MORE...........