राखी बांधते समय तीन गांठ लगाना बहुत जरूरी होता है। हिंदू धर्म ग्रंथ के मुताबिक़, तीन गांठ का संबंध तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश से है। राखी की पहली गांठ भाई की लंबी उम्र के लिए दूसरी गांठ खुद की लंबी उम्र के लिए होती है। वहीं तीसरी गांठ भाई-बहन के बीच रिश्ते के दीर्घायु के लिए बांधी जाती है।
धार्मिक परंपरा में राखी बांधना एक बहुत प्रसिद्ध परंपरा है और यह भाई-बहन के प्रेम और सभ्यता का प्रतीक है। विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों में इस परंपरा को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार तीन गांठों का महत्व बताया गया है।
पहली गांठ: पहली गांठ में राखी का धागा भाई की लंबी उम्र और सफलता के लिए बांधा जाता है। भाई के सफल और खुशहाल जीवन की कामना करते हुए राखी बांधी जाती है।
दूसरी गांठ: राखी की दूसरी गांठ में बहन अपने लिए खुद की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना करती है। वह अपने जीवन में समृद्धि और समाधान की प्राप्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करती है।
तीसरी गांठ: तीसरी गांठ में राखी का धागा भाई-बहन के प्रेम और रिश्ते की दीर्घायु के लिए बांधा जाता है। यह गांठ उनके प्रेम और संबंध को दिन-ब-दिन मजबूत बनाने के लिए होती है। भाई-बहन के प्रेम और सम्मान का प्रतीक राखी को उनके कल्याण की कामना के साथ बांधा जाता है।
यह तीन गांठें राखी के प्रतीक में अपना महत्व रखती हैं और रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए प्रेरित करती हैं। इस साल भी रक्षाबंधन पर्व पर भाई-बहन एक दूसरे के साथ यह धार्मिक परंपरा का आनंद उठाएंगे।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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