संप्रदाय की स्थापना:
रामावत संगत का संप्रदाय रामानंदाचार्य जी द्वारा स्थापित किया गया था। इस संप्रदाय में साधु और गृहस्थ दोनों होते हैं, लेकिन यह खासतौर से गृहस्थों के लिए है।
लक्ष्य देवता:
रामावत संगत में सीता जी, राम जी, और हनुमानजी को ध्येय देवता के रूप में माना जाता है। हनुमान जी को रुद्रावतार मानकर शिव, पार्वती, और गणेश की भी पूजा की जाती है।
पूजा-प्रथा:
इस संप्रदाय में सभी प्रमुख देवताओं की पूजा होती है, लेकिन विशेष रूप से राम, सीता, और हनुमान की पूजा की जाती है। गीता और रामायण को सर्वोपरि स्थान मिलता है।
सात्विक जीवन शैली:
संप्रदाय के सदस्यों के लिए मांसाहार, मद्यपान, परस्त्री-गमन, और परद्रव्य-हरण का निषेध है। सदस्यों को परोपकार का प्रवृत्त होना और नेक कार्यों का प्रयास करना चाहिए।
मंत्र-दीक्षा की परम्परा:
इस संगत में मंत्र-दीक्षा की अनूठी परम्परा है, जिसमें भक्त को उसके ध्येय देवता के मंत्र से दीक्षित किया जाता है। यह मन्त्र परम-गुरु हनुमान जी के द्वारा प्रदत्त होता है।
संगत से जुड़ने की प्रक्रिया:
संगत से जुड़ने के लिए कोई शुल्क नहीं है, बल्कि सात्विक जीवनशैली, समदृष्टि, और परोपकार का संकल्प-पत्र भरना आवश्यक है। इसके लिए आपको ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा, जिसे मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध किया गया है।
रामावत संगत ने एक सात्विक और धार्मिक जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए एक सामर्थ्यशाली संप्रदाय की बुनियाद रखी है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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