Published By:धर्म पुराण डेस्क

विश्वभर में रामायण, जानिए धार्मिक इतिहास 

प्रस्तावना:

रामायण, विश्वभर में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर है, और इसकी कथा ने विभिन्न रूपों में विभिन्न देशों में प्रवृत्ति प्राप्त की है। इस लेख में, हम चीन, जापान, मंगोलिया, तिब्बत, तुर्किस्तान, इंडोनेशिया, जावा, मलेशिया, वेटनाम, श्रीलंका, और कंप्यूटर युग के अनुसार रामायण के प्रचलन के रूपों की चर्चा करेंगे।

रामायण चीन में:

चीन में रामायण को "अनामकं जातकम्" और "दशरथ कथानम्" के नाम से जाना जाता है। यहां राम के अद्वितीय किस्से को एक नए रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिससे चीनी सांस्कृतिक परंपरा में उनका महत्व बना रहता है।

जापान में रामायण:

जापान में रामायण को 'होबुत्सुशू' नामक सांस्कृतिक कथा संग्रह में शामिल किया गया है। यहां राम की कहानी को अपने रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो जापानी सांस्कृतिक परंपरा के साथ समर्थन करता है।

मंगोलिया में रामायण:

मंगोलिया में रामायण को "राजा जीवक की कथा" कहा जाता है और यह राम की कहानी को मंगोलियाई भाषा में सुनाता है, जिससे यह दिखता है कि रामायण की प्रभावी पहुंच विश्वभर में है।

तिब्बत में रामायण:

तिब्बत में रामायण को "किंरस-पुंसपा" कहा जाता है। तिब्बती रामायण के भाषा और कथा में विशेषता है जो वहां की सांस्कृतिक परंपरा को दर्शाता है।

तुर्किस्तान में रामायण:

तुर्किस्तान के पूर्वी भाग को "खोतान" कहा जाता है, और यहां पर भी रामायण का प्रचलन है। रामायण की यह आपातकालीन रूपों ने इस क्षेत्र में एक विशेष स्थान बनाया है।

इंडोनेशिया और जावा में:

इंडोनेशिया में रामायण को "रामायण काकावीन" कहा जाता है, जो जावा की प्राचीन शास्त्रीय भाषा में है। यहां रामायण की कहानी भी विभिन्न रूपों में प्रचलित है, जो स्थानीय सांस्कृतिक परंपरा को दर्शाता है।

मलेशिया और श्रीलंका में:

मलेशिया में "सेरीराम" और श्रीलंका में "सीता कल्याणम्" नामक रामायण के स्थानीय संस्करण प्रचलित हैं, जो इस क्षेत्र के भूगोल और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं।

कंप्यूटर युग में:

रामायण की कहानी आजकल डिजिटल रूप में भी प्रस्तुत है, और कंप्यूटर गेम्स, एनीमेशन, और डिजिटल कहानीगत प्रयासों के माध्यम से यह नई पीढ़ियों तक पहुंच रही है। रामायण के चित्रण और संगीत को भी इसमें शामिल किया जा रहा है, जिससे यह नई पीढ़ियों में भी प्रिय है।

समाप्ति:

इस प्रकार, चीन से लेकर कंप्यूटर युग तक, रामायण ने विभिन्न भूमिकाओं में विश्व की सांस्कृतिक विविधता को समृद्धि और समृद्धि की दिशा में प्रभावी रूप से योगदान किया है।

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