Published By:धर्म पुराण डेस्क

राम से बड़ा राम का नाम, अथाह है राम नाम

राम नाम की महिमा का शेष, शारदा, माता सीता, भरत जी, श्री हनुमान जी, शिव जी, वेद पुराण, स्वयं राम जी भी और सभी संत अनुभव तो करते हैं पर बखान नहीं कर पाते। 

शिवनाम/रामनाम (परमात्मा के स्वास में चलने वाले यूनिवर्सल नाम) के द्वारा ही मनुष्य आत्मा अग्नि रूप होकर इस धरती से 1- धौ द्वार, 2- अंतरिक्ष द्वार, 3- द्रोण द्वार, 4- भीष्म द्वार, 5- कृपा द्वार, 6- अश्वत्थामा द्वार, 7- विकर्ण द्वार व 8- भूरिश्रवा द्वार में प्रवेश करती है।

आठ द्वार की यात्रा करके मनुष्य ब्रह्मा रूप हो जाता है यह सब स्वांस में चलने वाले रामनाम (शिवनाम /रामरसायन /राम रतनधन /मंत्रराज /गुरुरित्यक्षरद्वयम) का अनुप्रयोग करने से हो जाता है ।

राम नाम नर केशरी,कनककसिपु कलिकाल ।

जापक जन प्रहलाद जिमि, पालिहि दलि सुरसाल।।

राम नाम की महिमा अनंत है। और वह बड़ी ही रहस्यमयी है। राम के नाम की महिमा राम से भी बड़ा है। इनकी महिमा हजारों मुख वाले शेषनाग भी करने में असमर्थ है। राम स्वयं भी अपने नाम की महिमा नहीं गा सकते - राम न सकहिं नाम गुन गाई।।

सतयुग में ध्यान करने से, त्रेता युग में यज्ञ करने से, द्वापर युग में पूजा करने से जो फल प्राप्त होता है वही फल कलयुग में केवल नाम कीर्तन से मनुष्य प्राप्त कर लेते है।

जैसे जल प्रज्वलित अग्नि को शांत करने में समर्थ है, जैसे घोर अन्धकार को छिन्न-भिन्न करने में भगवान सूर्यदेव समर्थ हैं, उसी प्रकार भगवन्नाम कलिकाल के मद, मत्सर, दम्भ आदि समस्त दोषों को शांत कर देता है।

सहस नाम सम सुनि शिव बानी। जपि जेई पिय संग भवानी।।

जान आदि कवि नाम प्रतापू। भयउ शुद्ध करि उलटा जापू।।

सुमिरि पवन सुत पावन नामू। अपने बस करि राखे रामू।।

सुक सनकादि सिद्ध मुनि जोगी। नाम प्रसाद ब्रह्मसुख भोगी।।

राम राम कहि जे जमुहाहीं। तिन्हहि न पाप पुंज समुहाहीं।।

जय श्री राम।।

राम ब्रह्म परमारथ रूपा। अर्थात्- ब्रह्म ने ही परमार्थ के लिए राम रूप धारण किया था।

राम न सकई राम गुण गाई ...

परमेश्वर के अनेक गुणवाचक नाम है उनमें से एक नाम राम है अर्थात जो सब में रमन करता है जो सब में राम हुआ है अर्थात कर व्यापक है

राम ना सकहिं नाम गुण गाई ..

राम नाम का महत्व यह है की इस नाम को अगर उल्टा भी लिया जाए तो फायदेमंद है क्योंकि वाल्मीकि जी ने उल्टा नाम का जाप किया था और ब्रह्म के समान हो गए राम नाम लेने से अजामिल नाम जैसे पापी ब्राह्मण का उद्धार हो गया. भक्त प्रहलाद में नाम लिया भगवान ने खंभा फाड़ कर दर्शन दिया. गज ने एक बार राम का नाम लिया तो नंगे पैर दौड़े सुदर्शन चक्र से ग्राहक को मार दिया. गज का उद्धार किया शबरी के घर गए द्रौपदी की लाज बचाई भक्त नरसी की रक्षा की यह है राम नाम का महत्व. 

जय श्री राम

राम है परम धाम इस से अधिक महत्व का क्या काम ..

भगवान् श्री कृष्ण ही हैं पूर्ण परमात्मा ए नटखट नादान मन्न जो शिव सनकादि और कबीर नानक इत्यादि सब के हैं प्रभु श्री राम ।

अब तुम भी अनन्य भाव से स्मरण कर लो उनके पावन नामों का माल्ही चेतन तो निश्चय ही पाओगे भगवान् श्री राम रूपी परम धाम ।।

जो चर अचर सभी में रमण करता है

मां का नाम लेने से जो अनुभव में आता है उसे शब्द में बताना कठिन है। ऐसी ही राम नाम की महिमा है। जैसे मां का ध्यान हर काम करते समय बच्चे के मां शब्द पर रहता है वैसे ही ब्रह्म राम नाम का सदा ध्यान रखते है कि कोई पुकार तो नही रहा। एक बच्चे की तरह नाम ले के देखो तो जरा।

रामचंद्र जी की पैदाइश भी जल से हुई है?

जल ही सृष्टि का निर्माता और निर्देशक हैं!

हम कुदरत के भेद से बेख़बर है ?

और कुदरत भी जल ही है!

जल ही ईश्वर है!

जल ही परमेश्वर है!

जल ही परमात्मा है!

और जल ही सब कुछ है!

और जल ही जीवन है!!

हमारे समझ से हर नाम का महत्व होता है। और हर नाम में विशेषता होता है। किसी जीव का नाम, किसी वस्तु का नाम यानी किसी भी प्रकार का नाम का विशेषता सिर्फ पहचान के लिए होता है।

रम जाना ,घुल जाना, समाहित हो जाना.

राम नाम का महत्व है

।।जय महाकाल।।

विश्व में जितने भी प्राणी जिसको भजते है उपासना करते जिस भी ईष्ट की वो राम ही है.

धर्म जगत

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