 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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भारत भूमि का विशेषता से यह विवेचन करता है कि जब भी धरा धर्म से च्युत होने लगती है, भगवान स्वयं ही आकर धर्म की रक्षा के लिए उत्तरदाता बनते हैं। धर्म रक्षा और प्रतिष्ठा का कार्य ब्रह्मतेज और क्षात्रतेज के सम्मिलित प्रकट होने से ही पूर्ण होता है।
ब्रह्मतेज और क्षात्रतेज:
मुगलों के शासनकाल में, जब हिन्दू समाज अत्याचारी शासन से पीस रहा था, समर्थ स्वामी रामदास ब्रह्मतेज के रूप में और छत्रपति शिवाजी क्षात्रतेज के रूप में प्रकट होकर मुगल शासन को शक्तिशाली भगवान शक्ति की कृपा से शक्तिहीन करने में सफल हुए। इस प्रक्रिया को सिद्ध परंपरा कहते हैं, जो भविष्य को देखने वाला आने वाले काल के लिए मार्गदर्शन करता है और इसके रहस्य को समझने वाला समाज को उस भगवत्प्रदृष्टि के मार्ग पर चलाता है।
संतों का धरातल पर मार्गदर्शन:
यदि हम समर्थ स्वामी रामदास के 'दासबोध' ग्रंथ का अध्ययन करें, तो वह समाज को विभिन्न विषयों पर विचार करने का प्रेरणा देता है। इस ग्रंथ में समस्त व्यावहारिक ज्ञान है, जो समाज-जीवन के सभी पहलुओं को समझाता है और उसे दिव्य दृष्टि से देखने की शिक्षा देता है। इस प्रकार, समर्थ स्वामी रामदास द्वारा विचारित समर्थ स्वामी रामदास द्वारा विचारित सिद्ध परंपरा द्वारा समाज को दिव्य दृष्टि के साथ मार्गदर्शन करने का क्षमता है।
धार्मिक एवं सामाजिक सुधार:
आज जैसी असह्य स्थिति में, जहां हिंसा, अन्याय, और अनीति का बोलबाला है, हमें समर्थ स्वामी रामदास की शिक्षा का अनुसरण करने की आवश्यकता है। उनका संदेश समाज को उठाने, धर्म की स्थापना करने, और एकता और शांति की प्राप्ति के लिए है।
इसके माध्यम से हम सभी को यह आदर्श प्राप्त हो सकता है कि हमें धार्मिकता, सामाजिक न्याय, और अनुशासन की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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