हमारा सांस लेने का तरीका हमारे स्वास्थ्य को बहुत हद तक निर्धारित करता है सांस हमारे जीवन का आधार है और अगर सांस लेने की विधि ही सही नहीं होगी तो अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना करना ठीक नहीं है।
आज के इस मार्गदर्शन में इसी विषय पर मार्गदर्शन किया गया है कि सांस लेने का सही तरीका क्या होना चाहिए, कब और किस प्रकार से श्वसन की कुछ विशेष विधियों का प्रयोग करना है इस विषय में पूर्ण जानकारी दी गई है। आप एकाग्रता पूर्वक इस विषय को समझें और अपने जीवन में धारण करें विशेष लाभ होंगे।
सही सांस लेने का तरीका शांति, स्थिरता और जागरूकता के साथ किया जाता है। निम्नलिखित हैं कुछ महत्वपूर्ण सांस लेने के तकनीकों के विवरण और इनके चमत्कारी फायदों का वर्णन:
शामक सांस (दीप श्वसन या उच्च निकासी की सांस लेना): इस तकनीक में, आपको गहरी सांस लेनी है और फिर उसे धीरे से छोड़ना है। यह सांस तकनीक शांति और स्थिरता को बढ़ाने में मदद करती है और तनाव को कम करती है। इसके लिए, आप नीचे दिए गए चरणों का पालन कर सकते हैं:
* आराम पूर्वक बैठे या लेटे।
* आंखें बंद करें और शांति की भावना से एक गहरी सांस लें।
* सांस को धीरे से बाहर छोड़ें और इसके दौरान ध्यान केंद्रित रखें।
* आंखें खोलें और सांस को पूरी तरह से बाहर छोड़ें।
* ध्यानपूर्वक एक क्षण के लिए रुकें और फिर सामान्य तरीके से सांस लेने के लिए तैयार हो जाएं।
इस तरह की सांस लेने के फायदे में शामिल हैं: तनाव कम करना, मानसिक स्थिरता बढ़ाना, नींद की गुणवत्ता में सुधार, मस्तिष्क की सुधार, और सामरिक और मानसिक प्रदर्शन को बेहतर बनाना।
अनुलोम विलोम प्राणायाम: यह एक प्राणायाम तकनीक है जिसमें दाईं और बाईं नाक के माध्यम से सांस लेते हैं। इसे निम्न चरणों के साथ करें:
* आराम पूर्वक बैठे या लेटे।
* नींव और मध्य उंगलियों का उपयोग करके दाईं नाक को बंद करें।
* गहरी सांस लें और फिर बाईं नाक को छोड़ें, सांस को धीरे से छोड़ते हुए ध्यान केंद्रित रखें।
* अब बाईं नाक को बंद करें और दाईं नाक से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को एकांत में कुछ समय तक जारी रखें।
अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे में शामिल हैं: तनाव कम करना, मस्तिष्क की गतिविधि को सुधारना, प्राकृतिक शांति प्राप्त करना, विचार शक्ति बढ़ाना, और निरोगी शरीर में सुधार प्राप्त करना।
पूरक सांस और रेचक सांस: इस तकनीक में, आपको सांस लेने के दौरान इंगित किए गए श्वासायाम के माध्यम से और सांस छोड़ने के दौरान श्वासायाम के माध्यम से सांस लेनी है। इसके लिए निम्नलिखित कार्रवाई करें:
* धीरे से और गहरी सांस लें।
* दायां हाथ को उठाएं और सांस छोड़ें, इंगित किए गए श्वासायाम के माध्यम से।
* बाएं हाथ को उठाएं और सांस छोड़ें, रेचक के माध्यम से।
* इस प्रक्रिया को कुछ समय तक जारी रखें।
पूरक सांस और रेचक सांस के फायदे में शामिल हैं: प्राकृतिक ऊर्जा का संतुलन प्राप्त करना, अवसाद को कम करना, प्रतिस्पर्धा में सुधार करना, प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना, और तनाव को कम करना।
सही सांस लेने की तकनीकों का नियमित अभ्यास स्वास्थ्य और तनाव को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। यह मानसिक शांति, शारीरिक स्थिरता, और सामरिक और मानसिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
ध्यान और मेधावी गतिविधियों के साथ सही सांस लेना स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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