Published By:धर्म पुराण डेस्क

ऋषि पंचमी 2023: पापों से मुक्ति पाने के लिए यहाँ जानें पूजा का मुहूर्त, विधि और कथा

ऋषि पंचमी 20 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी, इस दिन 7 ऋषियों की पूजा करने से मिलता है मोक्ष। इस आरंभ में, जानें ऋषि पंचमी पूजा का मुहूर्त, विधि, और उसकी कथा को।

मुहूर्त (अद्यतन):

भाद्रपद शुक्ल पंचमी का आरंभ: 19 सितंबर 2023, 01:43 PM,

भाद्रपद शुक्ल पंचमी का समापन: 20 सितंबर 2023, 02:16 PM,

सप्त ऋषियों की पूजा का समय: सुबह 11:01 से दोपहर 01:28 तक (2 घंटे 27 मिनट),

पूजा विधि:

* सुबह सूर्योदय से पहले, व्रती स्त्रियां पवित्र नदी गंगा में स्नान करें या घर पर गंगाजल से नहा सकती हैं.

* पूजा स्थान पर गोबर से चौकोर मंडल बनाकर सप्त ऋषियों की मूर्तियों को सजाएं।

* ऋषियों का अभिषेक दूध, दही, घी, शहद, और जल से करें, और इनका पूजन करें रोली, चावल, धूप, और दीप के साथ।

* पूजा के समय, ऋषि पंचमी के मंत्र पढ़ें: 

"कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:। 

जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।। 

गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।"

* अगर किसी पर धर्म संबंधित कोई गलती हुई हो तो उसके लिए क्षमा याचना करें, विशेषकर मासिक धर्म के दौरान किसी धार्मिक कार्य में।

* पूजा के बाद, घी से हवन करें और इस दिन किसी ब्राह्मण को केला, घी, शक्कर, और दान दें, साथ ही आपकी सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देना भी शुभ हो सकता है।

व्रत नियम:

* व्रत करती महिलाएं जमीन में बोया अनाज नहीं खाना चाहिए।

* भोजन में मोरधन, कंद, और मूल का आहार करें, और दिन में एक बार भोजन करें।

* व्रती स्त्री ब्रह्मचर्य का पालन करें।

कथा:

कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण उत्तक के साथ रहता था, और उनके पास एक पुत्री थी। पुत्री का विवाह बहुत खुशियों के साथ होता है, लेकिन कुछ दिनों बाद, उसके पति की अकाल मृत्यु हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप, पुत्री अपने मायके लौट आती है, और उसके शरीर पर कीड़े उत्पन्न हो जाते हैं।

पुत्री की मां यह देखकर हैरान हो जाती है और उसे पति के पास लेकर जाती है। उत्तक ब्राह्मण ध्यान लगाकर देखते हैं कि उनकी पुत्री अपने पिछले जन्म में ब्राह्मण की पुत्री थी, और उसके द्वारा एक धार्मिक अवसर में की गई गलती के कारण उसके शरीर में ये कीड़े उत्पन्न हुए हैं।

इसके बाद, पुत्री ने पापों से मुक्ति पाने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत आचरण किया, और इसके परिणामस्वरूप, उसको अटल सौभाग्य प्राप्त हुआ।

यह ऋषि पंचमी व्रत भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए धार्मिक महत्व रखता है और पूजा के माध्यम से पापों के क्षय की कामना करता है.

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