प्राणियों की हिंसा न करें, किसी को शाप न दें, झूठ न बोलें, नख एवं रोम न काटे। अपवित्र एवं अशुभ वस्तु का स्पर्श न करें। जल में डुबकी लगाकर न नहावें, झूठा, चीटियों के द्वारा खाया हुआ, ऋतुमती की नजर में पड़ा हुआ भोजन न करें।
भोजन के पश्चात् हाथ धोये बिना, केश बांधे बिना, वाणी का संयम किये बिना, वस्त्रों से अंगों को ढके बिना और संध्या के समय घर से बाहर विचरण न करें। पैर धोए बिना एवं उत्तर या पश्चिम की ओर सिर करके न सोएं। संध्याकाल में न सोएं।
प्रात:काल भोजन से पहले धुले हुए कपड़े पहनकर, पवित्र होकर तथा समस्त मंगल द्रव्यों को धारण करके प्रतिदिन भगवान नारायण और लक्ष्मी देवी जी का पूजन अवश्य करें। माला, चंदन, भोजन सामग्री आदि के द्वारा पति का पूजन करें एवं पूजा समाप्त होने पर पति का अपने उदर में ध्यान करें। गर्भकाल में इस प्रकार करने से निश्चय ही तेजस्वी, मेधावी, शूर और धार्मिक पुत्र का जन्म होता है।'
संतति निरोध-
संतति निरोध का एकमात्र सबसे बढ़िया तरीका 'इंद्रिय संयम' हैं। यह सत्य है कि भारत के समान गरीब देश में इस महान महंगाई के युग में अधिक संतान माता-पिता के लिये बड़ी ही संताप का विषय होती है और उसका 'निरोध एवं सीमित' होना अवश्य ही लाभप्रद सार्थक सिद्ध हो सकता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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