(1). यात्रियों को स्नानादि से पवित्र होकर तथा स्वच्छ वस्त्रों को पहनकर दर्शन करने मंदिर में जाना चाहिए।
(2). दर्शन-पूजा-अर्चना पंक्ति बद्ध होकर करना चाहिए। पहले से पहुंचे हुए भाई-बहनों को धक्का-मुक्की करके उनकी पूजा-अर्चना में व्यवधान नहीं डालना चाहिए।
(3). मंदिर में तहमद, लुंगी, मौजे तथा अभद्र पोशाक पहन कर नहीं जाना चाहिए।
(4). दर्शनार्थियों को शराब आदि का नशा नहीं करना चाहिए और न शराब पीकर मंदिर में ही जाना चाहिए।
(5). मंदिर में बहुमूल्य आभूषण पहनकर तथा रुपये लेकर नहीं जाना चाहिए तथा बाहर छोड़े गए सामान की देखरेख अपने जानकार व्यक्ति को ही सौंपना चाहिए।
(6). मंदिर में भीड़ होने पर जेब कतरों, उठाईगीरों आदि से सावधान रहकर दर्शन करना चाहिए।
(7). मंदिर और मंदिर के बाहर प्रांगण में स्वच्छता बनाए रखने के लिए कागज पत्ते तथा अन्य गंदगी करने वाले छिलके आदि यहाँ-वहाँ न डालकर निश्चित स्थान पर ही डालना चाहिए।
(8). रेडियो, कैमरा, शस्त्रास्त्र, लाठी, बल्लम आदि लेकर मंदिर में नहीं जाये। मंदिर में फोटो खींचने की मनाही भी है।
(9). मंदिर में अपने साथ भजन-पूजन की सामग्री के अलावा अन्य सामान, असबाब आदि लेकर नहीं आये।
(10). मंदिर में माताजी के जयकारे के अलावा कोई शोर-शराबा, गाली-गलौज नहीं करना चाहिए।
(11). मन्दिर के अन्दर पाँव फैलाकर बैठना, लेटना और माताजी की ओर पीठ करके नहीं बैठें और न बैठने दें।
(12). मन्दिर के अन्दर और बाहर गन्दे गाने नहीं गाने चाहिए।
(13). माता-बहनों के बीच पुरुषों को नहीं जाना चाहिए और न नाचना चाहिए।
(14). रजस्वला स्त्रियों को मंदिर में नहीं जाना चाहिए।
(15). महिलाओं और बच्चों के प्रति अभद्र व्यवहार नहीं करना चाहिए। भीड़ होने पर उन्हें सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए। जहां तक हो सके महिलाओं और बच्चों को दर्शन के समय आगे रखना चाहिए।
(16). मन्दिर के अन्दर बीड़ी-सिगरेट नहीं पीना चाहिए।
(17). मंदिर में दीपक, धूपबत्ती, अगरबत्ती जलाते समय अन्य यात्रियों से बचाकर जलाएं तथा निश्चित स्थान पर ही जलाकर रखें।
(18). यात्रियों व दर्शनार्थियों को चाहिए कि वे मन्दिर के सभी नियमों का पालन करें और अपने को माता का सेवक समझकर मंदिर की व्यवस्था में सहयोग देना चाहिए। श्रद्धा एवं भक्ति सहित शुद्ध पवित्र मन से माँ के दर्शन करने जाना चाहिए। क्योंकि भक्ति में ही शक्ति और सिद्धि है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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