दरअसल सुख सुविधाएं तब थोड़ी जा सकती है जब आपके पास वो हैं| आपके पास कुछ नहीं है और आप त्याग करने की बात कर रहे हो तो ये अपने आप के साथ धोखा है| आध्यात्मिकता की आड़ में मानसिक बीमार अपने आलस और अकर्मण्यता को पोषण देते हैं|
वह अपने जीवन की जरूरतों को इग्नोर कर देते हैं| घर में कोई कुछ कहता है तो वह धर्म और अध्यात्म के कुछ सूत्रों का हवाला देकर त्याग तपस्या और बलिदान को ही सर्वोपरि बताते हैं| पशु पक्षी और मनुष्य की जिंदगी में बुनियादी अंतर यह है कि पशु पक्षियों को सिर्फ भोजन के लिए काम करना पड़ता है और मनुष्य को भोजन के साथ अन्य सुख सुविधाओं के लिए भी काम करना पड़ता है| सिस्टम ऐसा बन गया है की जरूरतें अनिवार्य हो गई हैं|
बढ़ती आबादी के कारण आप लंबी दूरी पर घर लेने को मजबूर होते हैं तब क्या आप वाहन के बिना अपने जरूरी कामों को निपटा सकते हैं तब आप के लिए वाहन भी अनिवार्य हो जाता है| रहने के लिए एक अच्छा मकान भी अनिवार्य हो जाता है| आप मकान में बिना बिजली के नहीं रह सकते| आपको उस सोसाइटी के मेंटेनेंस का चार्ज भी देना पड़ता है प्रॉपर्टी टैक्स भी देना पड़ता है व्हीकल के लिए इंश्योरेंस भी कराना पड़ता है, लाइफ इंश्योरेंस भी कराना पड़ता है न जाने कितनी चीजें हैं जिनके लिए मनुष्य को धन का संग्रह करना ही पड़ता है| धन और बुनियादी जरूरतों की उपेक्षा से काम नहीं चलेगा| यदि हम अपनी जरूरतों को त्याग के नाम पर टालते रहेंगे और आलसी बन कर यह सोच कर बैठ जाएंगे कि मैं तो आध्यात्मिक और धार्मिक हूं मेरी व्यवस्था परमात्मा करेगा तो आप भूल करेंगे|
आपको धर्म और अध्यात्म के कार्यों से जुड़े रहने से किसी ने नहीं रोका लेकिन इसकी कीमत पर आप अपनी बुनियादी जरूरतों कर्तव्यों और वर्तमान धन और लेन-देन के सिस्टम को बदल नहीं सकते| आप कितने ही बड़े साधु संत और सन्यासी बन जाए आपको बस और ट्रेन में टिकट लेकर ही बैठना पड़ेगा आप अध्यात्म के नाम पर किसी रेस्टोरेंट में फ्री भोजन नहीं कर सकते| कितने लोग सन्यासी बन कर अपनी जिंदगी दूसरों की दान दक्षिणा के दम पर चला सकते हैं|
हमें अपनी जिंदगी चलाने के लिए मशीन बनना ही पड़ेगा| यह वक्त का तकाजा है| मशीन बनकर बिना प्रश्न किए अपने काम में लगे रहो| गीता का निष्काम कर्मयोग भी कुछ इसी तरह की शिक्षा देता है| कामना मत रखो लेकिन कार्य करते रहो| बैठे रहने से आप अपनी जिम्मेदारियों को बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं करेंगे| बौद्धिक जुगाली से आपको जरूर की पूर्ति का मार्ग नहीं मिलेगा| असहाय बन कर मत बैठिए| मसीहा महात्मा और पैगंबरों पर भरोसा करके अच्छे दिन आने के इंतज़ार में वर्तमान को इग्नोर मत कीजिए| भले ही आपको धर्म और अध्यात्म से अच्छे दिन आने की उम्मीद हो लेकिन तब भी जो भी काम आपके हाथ में है उस काम को इमानदारी से करते रहिए उसमें किसी तरह की कटौती मत कीजिए|
अपना कर्म और कर्तव्य करते हुए भी आप सत्य तक पहुंच सकते हैं| धर्म और अध्यात्म का रास्ता आपको कभी भी अपने कर्तव्यों से मुड़ने की शिक्षा नहीं देता| अपने आसपास देखें कि किस तरह से त्याग, तपस्या और बलिदान की तालीम देने वाले गुरु, संत और महात्मा खुद ऑडी बेंज और खुद के चार्टर्ड से घूमते हैं|
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024