Published By:धर्म पुराण डेस्क

सद्गुरु और मंत्रदीक्षा

अपनी इच्छानुसार कोई मंत्र जपना बुरा नहीं है, अच्छा ही है, लेकिन जब मंत्र सद्गुरु द्वारा दिया जाता है तो उसकी विशेषता जाती है। जिन्होंने मंत्र सिद्ध किया हुआ हो, ऐसे महापुरुषों के द्वारा मिला हुआ मंत्र साधक को भी सिद्धावस्था में पहुँचाने में सक्षम होता है। सद्गुरु से मिला हुआ मंत्र 'सबीज मंत्र' कहलाता है क्योंकि उसमें परमेश्वर का अनुभव कराने वाली शक्ति निहित होती है। सद्गुरु से प्राप्त मंत्र को श्रद्धा-विश्वासपूर्वक जपने से कम समय में ही काम बन जाता है।

सद्गुरु से प्राप्त मंत्र की विशेषता यह होती है कि वह मंत्र सद्गुरु द्वारा सिद्ध किया गया होता है और उसमें परमेश्वर की अनुभव कराने वाली शक्ति निहित होती है। सद्गुरु साधक को उस मंत्र की सही उपासना और जप की विधि बताते हैं, जिससे साधक को सिद्धावस्था में पहुँचने में सक्षमता मिलती है। इसलिए, यदि साधक श्रद्धा और विश्वास के साथ सद्गुरु से प्राप्त मंत्र को जपता है, तो उसे आवश्यकता से कम समय में प्रभाव महसूस होता है।

मंत्र जपने के लिए श्रद्धा और विश्वास महत्वपूर्ण है क्योंकि ये भावनाएं साधक को अपने अंतर्यामी और परमेश्वर से जोड़ती हैं। श्रद्धा और विश्वास की शक्ति आवश्यक होती है ताकि मंत्र के जप के द्वारा उसकी आराध्य देवता के साथ संयोग हो सके। 

सद्गुरु से प्राप्त मंत्र जप के द्वारा, साधक अपने उद्देश्य को प्राप्त करने, आध्यात्मिक उन्नति के लिए और परमेश्वर के साथ सामर्थ्य में आत्मीयता प्राप्त करने में सक्षम होता है। इसलिए, सद्गुरु से प्राप्त मंत्र का श्रद्धा-विश्वासपूर्वक जप करने से साधक को कम समय में अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में मदद मिलती है। 

यह साधक को उद्धार, प्रकाश, और आनंद की स्थिति में पहुँचा सकता है। गुरु के आदेशानुसार और आदर्शों के साथ मंत्र जप करना अनुभव का एक अद्वितीय साधना होता है, जो आपके आनंद और स्वाधीनता का स्रोत बन सकता है।

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