जब से मानव समय को मापने में सफल हुआ है, हरेक व्यक्ति को बस यही शिकायत है, "मेरे पास समय नहीं है !" यह बिल्कुल ठीक है। लेकिन मिलता किसे है? समय मिलता किसी को नहीं!
यदि आप कार्यदक्ष व्यक्ति बनना चाहते हैं तो आपको प्रगतिशील नर-नारियों के स्तर तक पहुंचना होगा। जिन्होंने विस्मयजनक सफलता इसलिए पाई, क्योंकि वे 24 घंटों के दिन में 26 घंटों का काम करना जानते थे। फालतू दो घण्टे उन्हें कहां से मिले?
वे उन्हें मिलते नहीं-उचित योजना बनाकर, समय के बजट का अनुसरण करते हुए और व्यर्थ जाने वाले समय को बचाते हुए वे फालतू समय पैदा कर लेते हैं।
महान वैज्ञानिक एडिसन का कथन है, "समय संसार की सबसे अधिक मूल्यवान वस्तु है" तो जितनी सावधानी आप पैसा खर्च करते समय रखते हैं, समय बिताने में भी उतनी सावधानी रखने का अभ्यास कीजिए।
समय-सारणी बनाइए समय पर नियंत्रण रखने का सर्वोत्तम उपाय यही है कि समय-सारणी बनाई जाए। कल प्रातः जागने से लेकर रात सोने तक के सारे समय के हर पन्द्रह मिनटों को बिताने का कार्यक्रम एक नोटबुक में लिख लीजिए। इसे काम के तीन साधारण दिनों तक के लिए क्रियान्वित कीजिए। दिन अच्छी तरह बीता हुआ लगे ऐसी चेष्टा मत कीजिए। फिर व्यतीत हुए दिन पर एक टिप्पणी लिखिए।
इसके पश्चात् अपनी टिप्पणी की जांच कीजिए और बिताए हुए समय की काम में आई अवधि और बेकार गई अवधि के सम्बन्ध में एक संक्षिप्त नोट तैयार कीजिए ; परिणाम अपने मुंह बोलने लगेंगे।
आपको समय के कुछ भाग ऐसे दीखेगे जोकि व्यर्थ चले जाते है या इन्तज़ार में बीत जाते है किसी व्यक्ति के आने के इन्तज़ार में या किसी बात के घटने के इन्तजार में। ऐसी अवधि का उपयोग शरीर का तनाव कम करने, आंखों को आराम देने, अथवा होने वाली भेट के समय किए जाने वाले काम की मोटी-मोटी बातें लिपिबद्ध करने, या फिर बाकी बचे दिन के कार्यक्रम सम्बन्धी टिप्पणी तैयार करने में कीजिए।
यह भी जांच कर लीजिए कि जो समय व्यर्थ गंवा दिया गया है वह गप्पे हांककर या बेकार की बहस अथवा तर्क-वितर्क में पड़कर, अथवा हानिकारक आलोचना में उलझकर दूसरों का समय नष्ट करने में तो प्रयोग नहीं हुआ है।
भले ही आप दफ्तर के समय का इस्तेमाल अच्छी तरह करते हों, लेकिन यदि आप बारीकी से जांच करेंगे तो आपको यहां भी थोड़ी- बहुत गुजाइश मिल ही जाएगी जहां आपका समय बेकार जाता है। हरेक काम दो तरह से किया जा सकता है।
सफल व्यक्ति योजनाबद्ध तरीका इस्तेमाल करता है और उस पर सावधानी तथा दक्षता से काम करता है; असफल व्यक्ति बिना किसी योजना अथवा तैयारी के काम शुरू करता है, और परिणाम होता है— गलतियां, पुनरावृत्ति, समय का नाश, श्रम का अपव्यय, संसाधनों का दुरुपयोग, पाप आदि।
काम को पहली बार में ही अच्छी तरह करना लाभकर होता है। उचित योजना से यह संभव है। अपने डेस्क के लिए आप लम्बे रुख का एक छोटा-सा पोस्टर अथवा कार्ड बनाइए, जिस पर यह लिखा हो: करने लायक काम पहली बार में ही अच्छी तरह करने लायक होता है।
अवकाश के समय का कार्यक्रम बनाना भी आवश्यक है। हमें अपने अवकाश का अधिकांश समय आराम के लिए निकालना होता है| लेकिन 'आराम' और 'आलस्य' को आपस में उलझाइए नहीं। आगम करने का अभिप्राय है तनाव कम करना। आप कोई काम करते हुए भी आराम कर सकते हैं। हां, यदि वह काम आपकी रुचि का हो।
यदि हम अच्छी तरह योजना बना लें और समय का विभाजन मुस्तैदी से कर ले, तो हम समय को आत्म सुधार की गतिविधियों में लगा सकते है। अवकाश के घण्टों का उपयोग करने में सदा यही अच्छा रहता है कि किसी खेल या मन बहलाव की किसी क्रीड़ा में निष्क्रिय दर्शक न बने रहकर उनमें स्वयं भाग लिया जाए।
यदि आप दरअसल सफलता पाना चाहते हैं तो आप मनोविनोद की कोई ऐसी गतिविधि चुनिए जो कि आपको ज्ञानार्जन करने, व्यक्तित्व का विकास करने और आत्मविश्वास बढ़ाने में योग दे।
अगर आपके घर में, फैक्ट्री में या गोदाम में आग लगनी शुरू हो, तो एक छोटी-सी आग बुझाने वाली मशीन आग की लपट को शांत कर सकती है; किन्तु जब एक बार यह बल पड जाती है तो आत्र- दर्जन फायर ब्रिगेड (आग बुझाने वाले इंजनों) को भी उस पर काबू पाने के लिए जूझना होगा।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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