Published By:धर्म पुराण डेस्क

संस्कार: जीवन की पवित्रता और सामाजिक सामर्थ्य का स्रोत

संस्कार शब्द की व्युत्पत्ति सम् उपसर्ग पूर्व 'कृञ्' धातु से घञ्' प्रत्यय करके (सम् + कृ + घञ संस्कार) से हुई है। 'संस्कार' शब्द वैदिक साहित्य में अनुपलब्ध है परन्तु 'संस्कृत' शब्द है का उल्लेख अवश्य हुआ है, जो धर्म का बोधक है।" 

मीमांसा दर्शन में इसका अर्थ है यज्ञांगभूत पुरोडाशादि की विधिवत शुद्धि जो कि प्रोक्षणविक्षणादि से सम्पन्न होती है। संस्कार शब्द को व्यक्त करने के लिए कई शब्दों का प्रयोग किया जाता है हिन्दु समाज दर्शन में 'संस्कार' शब्द जिस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है उसका पूर्णरूप से आशय स्पष्ट करने वाला कोई विशिष्ट शब्द आंगल भाषा में उपलब्ध नहीं है। 

संस्कार शब्द को व्यक्त करने के लिए Ceremony, Rite" तथा Sacrament आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। अंग्रेजी के 'ceremony' शब्द का अर्थ है किसी विशेष अवसर यथा विवाह, दाहसंस्कार, पर्व-त्योहार आदि पर किए जाने वाला विशेष कार्यों का सेट। ऐसा ही अर्थ आंग्लभाषा के Sacrament का भी है। अस्तु संस्कार का सही और सटीक अर्थ देने वाला अंग्रेजी भाषा का कोई भी शब्द युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होता। 

हिन्दुओं में संस्कार अत्यंत विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक हिन्दु का सम्पूर्ण जीवन विभिन्न संस्कारों के द्वारा पवित्र होता रहता है हर स्तर पर जीवन के भावी का कर्त्तव्य बोध कराने वाले संस्कारों के पीछे एक धार्मिक पवित्रता तथा सामाजिक कर्त्तव्य परायणता के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन की सार्थकता भी निहित है। 

संस्कार उस धार्मिक कृत्य तथा अनुष्ठान को कहते हैं, जो मनुष्य की शुद्धि तथा उसके शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक परिष्कार के लिए किया जाता है। इस प्रकार के अनुष्ठानों का प्रमुख उद्देश्य व्यक्ति को समाज का योग्य तथा उन्नत सदस्य बनाना होता है। 

भारतीय संस्कृति में संस्कारों का महत्वपूर्ण स्थान है। संस्कार एक प्रकार की धार्मिक और सामाजिक प्रथा है, जिससे हमारे जीवन को पवित्रता और सामाजिक सामर्थ्य की दिशा में मार्गदर्शन मिलता है। इस लेख में हम संस्कारों के महत्व, प्रकार और उनके परिणामों पर विचार करेंगे।

संस्कारों का महत्व: संस्कार हमारे जीवन की महत्वपूर्ण मील के पत्थर होते हैं। ये हमें धार्मिक और नैतिक मूल्यों की पहचान कराते हैं और हमें समाज में आदर्श नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करते हैं। संस्कार हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं और हमें सही और गलत के बीच विचार करने की क्षमता प्रदान करते हैं।

संस्कारों के प्रकार: संस्कारों को विभिन्न चरणों में जीवन की विभिन्न स्थितियों में पालने का माध्यम माना जाता है। वे जन्म, विवाह, अंत्येष्टि आदि के समय आयोजित किए जाते हैं। जीवन की विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं में संस्कार हमें उन आदर्शों का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं जो समाज में सदाचार और नैतिकता का प्रतीक होते हैं।

संस्कारों के परिणाम: संस्कार हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक विकास को प्रभावित करते हैं। वे हमें अच्छे और सही दिशा में चलने की सामर्थ्य प्रदान करते हैं और हमारी पर्याप्तता और आत्मविश्वास को बढ़ावा देते हैं। संस्कार हमें श्रेष्ठता की दिशा में प्रेरित करते हैं और हमारे आत्मसमर्पण को मजबूती देते हैं।

निष्कर्ष: संस्कार हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं जो हमें धार्मिक, नैतिक और सामाजिक मूल्यों का संरक्षण करने का मार्ग दिखाते हैं। वे हमें उच्चता और सद्गुणों की दिशा में प्रेरित करते हैं और हमारे जीवन को एक सफल और परिपूर्ण दिशा में दिशा-निर्देशित करते हैं। संस्कार ही हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक सफलता की कुंजी होते हैं, जो हमें सदैव उच्चता की ओर आग्रहण करते हैं।

नोट: इस आर्टिकल में दिए गए विचार लेखक की व्यक्तिगत राय है और संस्कारों के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करने का प्रयास किया गया है।

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