Published By:अतुल विनोद

पिंड और ब्रम्हांड में समान “पॉवर सर्किट” का विज्ञान| यूनिवर्स से कनेक्ट होने का रहस्य छिपा है शक्ति चक्र पुरुष में… अतुल विनोद

पिंड और ब्रम्हांड में समान “पॉवर सर्किट” का विज्ञान| यूनिवर्स से कनेक्ट होने का रहस्य छिपा है शक्ति चक्र में…   अतुल विनोद क्या है पूजा पाठ और ईश्वरीय परिपथ से जुड़ने का सूत्र? साकार की पूजा का सच ? देवी देवता वास्तव में कौन हैं? योग का मूल तत्व और साधना का सार Is Consciousness Universal? मानव निर्मित कोई भी यंत्र तभी काम करता है जब उसका सर्किट प्रॉपर डिज़ाइन किया हो| 

हर पिंड,यंत्र(device,Mass,shell,materiel) का अपना एक अलग सर्किट होता है|  उस  परिपथ(circuit) में जब ऊर्जा का प्रवाह होता है तो वो काम करने लगता है| न सिर्फ मानव निर्मित उपकरणों में बल्कि ईश्वर निर्मित परमाणु से लेकर बड़े से बड़े जीव, जंतु,पहाड़, पदार्थ तक, हर एक पिंड का अपना एक पावर सर्किट होता है| हम सब ने पढ़ रखा है कि किस तरह परमाणु का एक नाभिक होता है और उस नाभिक  के चारों तरफ इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन गति करते हैं|  ये परमाणु का परिपथ होता है| प्रत्येक पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना है चाहे वो निर्जीव हो या सजीव|  निर्जीव  का पावर सर्किट कम सक्रिय होता है और सजीव का ज्यादा सक्रिय होता है|  इंसान का पावर सर्किट अन्य पिंडों से कहीं ज्यादा सक्रिय होता है| 

The Strange Similarity of Neuron and Galaxy Networks इंसानी पावर सर्किट  के सभी केंद्र ऊर्जा से आप्लावित रहते हैं इसलिए इंसान अन्य जीव-जंतुओं की तुलना में ज्यादा बुद्धिमान है| इंसान का दिमाग उसके पावर सर्किट का एक केंद्र है और इस केंद्र में अन्य जीव-जंतुओं की तुलना में ज्यादा जटिल संरचनाएं हैं, इनमें ऊर्जा के प्रवाह के अनुपात में सक्रियता होती है और इसी रेशों में दिमाग क्रियाशील होता है| चाहे वो पत्थर हो, पहाड़ हो, मिट्टी  का पुतला हो या फिर जीव, जंतु और मानव|  सभी के पावर सर्किट ईश्वरीय ऊर्जा से भरे हुए हैं अंतर सिर्फ अनुपात का है| 

जो चीजें हमें निर्जीव दिखाई देती है उनमें भी ऊर्जा है लेकिन वो इतनी कम है कि वो हमें जड़(Inanimate,Insentient,lifeless,Soulless,Spiritless,Sterile,Dead,Dull) नजर आते हैं| इस पॉवर सर्किट को भारतीय सनातन दर्शन में शक्ति चक्र कहते हैं|  ये शक्ति चक्र कछुआ की आकृति का होता है|  इसे ही वास्तु पुरुष कहा जाता है | जिस भी सर्किट में ऊर्जा का प्रवाह होगा उसकी कुछ ना कुछ वाइब्रेशनल फ्रिकवेंसी/ रेडिएशन,  औरा या आभामंडल होगा| हर पिण्ड की वाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी  दूसरे पिंड पर असर डालती है| साधना के जरिए हम अपनी वाइब्रेशनल फ्रिकवेंसी को ईश्वरीय वाइब्रेशनल फ्रिकवेंसी से और बेहतर ढंग से कनेक्ट करने की कोशिश करते हैं|  इसी को योग कहते हैं| 

ईश्वरीय वाइब्रेशनल फ्रिकवेंसी कैसी है ये इंसान को पता नहीं होता| ईश्वरीय वाइब्रेशनल फ्रिकवेंसी जिसे हम परमसत्ता, परब्रह्म, परमेश्वर कहते हैं|  उसे हम जिस रूप में भी देखें हमारे सामने वो उसी रूप में  आती है| "Everything is Energy, Everything is One, Everything is Possible" कबीरदास जी कहते हैं कि पत्थर की पूजा करने से परमात्मा नहीं मिलता|  

लेकिन तत्व को जानने वाले उनकी इस बात से सहमत नहीं हैं| यदि उपासना पहाड़ की भी की जाए तो उसका फल मिलता है|  इसके पीछे एक विज्ञान है|  हमारी मनोभावना  जिस रूप को भी ईश्वर मानकर पूजेगी| उस रूप से होते हुए ईश्वरीय वाइब्रेशन हम तक पहुंचेगा| भारतीय दर्शन में इसीलिए पत्थर से लेकर आभूषण तक को पूजा जाता है| हम कार को भी पूजते हैं और बैल, गाय, बकरी को भी|  सुबह शाम तिजोरी को देखने वाले सेठ के घर में धन की वर्षा होती है|  

दरअसल उस धन को देखते रहने से हम उसे आकर्षित करते हैं|  लेकिन तब जब हम उसे प्रेम से देखें और स्वीकार करें,  उसके साथ हम अपनी फ्रीक्वेंसी को जोड़ दें| आजकल इसे लॉ ऑफ़ अट्रेक्शन कहा जाता है| लेकिन हमारे देश के सेठ साहूकार इसे सदियों से प्रयोग में लाकर धन बढाते रहे हैं| वे सुबह उठकर सबसे पहले अपने हाथों को देखते हैं हाथों  में  लक्ष्मी का वास कहा गया है| 

अपनी तिजोरी को खोल कर, अपने धन के भंडार को देखते हैं, उसकी पूजा करते हैं उसे प्रेम से निहारते हैं| इसका परिणाम  सब जानते हैं सेठ साहूकारों के पास हमेशा से अच्छी दौलत रही है| परमात्मा को हम जिस रूप में भी चाहेंगे वो उसी रूप में प्रकट भी होगा और उसी रूप में हमें फल भी देगा| हम  वरुण देव,  कुबेर,  इंद्रदेव,  जैसे न जाने कितने देवी-देवताओं को मानते हैं|  

दरअसल ये सभी देवी देवता अलग-अलग तत्वों के शक्ति चक्र हैं|  जैसे जल का शक्ति चक्र वरुण देव कहलाते हैं|  वायु का शक्ति चक्र पवन देव कहलाते हैं| वस्तुतः देवी देवता, मानवों से अलग कोई अति मानव रूप में मौजूद व्यक्ति नहीं हैं| वे इस ब्रह्मांड में मौजूद अलग-अलग तत्व,गुण और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं|   मानव उन्हें सगुण रूप में  पूजता है तो उसमें बुराई नहीं| वास्तव में ये ३३ करोड़ ही हैं आलोचना के कारण लोग इन्हें ३३ कोटि यानी ३३  प्रकार के बताते हैं| लेकिन देवी देवता की संख्या ३३ करोड़ से कहीं ज्यादा है| जितने भी गृह नक्षत्र तारे हैं वे सभी देवता हैं| 

इनकी संख्या अरबों में है, हमारी आकाश गंगा (मिल्की वे) में लगभग १०० अरब तारे हैं लेकिन प्रथ्वी पर ३३ करोड़ के पॉवर सर्किट का ही प्रभाव है| मानवों में भी अनेक आत्माएं मृत्यु के बाद देवत्व को प्राप्त कर लेती हैं| वो भी इन ३३ करोड़ में समाहित हैं| दरअसल हम भी शक्ति चक्र की सगुण अभिव्यक्ति है| मूल रूप से शरीर तो "यंत्र" मात्र है| शरीर के अंदर जो परिपथ है उस में व्याप्त होने वाली शक्ति ही हम हैं| "Human being is a bundle of energy" जल(WATER) परमाणुओं का एक खास तरह का परिपथ है|  

जब दो या दो से अधिक परमाणु किसी विशिष्ट संयोग से एक परिपथ बनाते हैं तो वो साकार रूप ले लेते हैं| योग साधना के जरिए हम किसी सगुण रूप से जुड़कर मूल रूप से उसके अंदर मौजूद तत्व, गुण और शक्ति से Tuning बैठाने की कोशिश करते हैं| जब हम उसके आकार के मूल में स्थित तत्व, गुण और शक्ति से जुड़ जाते हैं तो साधना निराकार की हो जाती है| The Human Connection: Physical and Metaphysical ज्योतिष की पीछे भी यही विज्ञान है| हम सब विभिन्न ग्रह, नक्षत्रों के परिप(पॉवर सर्किट)  की वाइब्रेशनल फ्रिकवेंसी से प्रभावित होते हैं|

 How are we connected to the universe? यूं तो इस यूनिवर्स में लाखों ग्रह है लेकिन  हमारे ऊपर प्रभाव उन्हें ग्रहों का पड़ता है जो हमारे सौरमंडल में मौजूद हैं| जो हमारी पृथ्वी से नजदीक हैं उनकी वाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी का सीधा असर हमारे ऊपर होता है| "The science of “vibes” shows how everything is connected"   हम ग्रह नक्षत्रों को मानव-आकृति में देखते हैं|  ये हमारी सहज भावना है| ग्रह नक्षत्रों को मानव के रूप में देखकर उनकी पूजा अर्चना करके हम उनकी वाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी से तारतम्य बनाने की कोशिश करते हैं| जब भी हमारी फ्रीक्वेंसी ग्रह नक्षत्रों के विपरीत होती है तो हमें अपने जीवन में गलत प्रभाव देखने पड़ते हैं|  ग्रह नक्षत्रों के अनुकूल होकर हम उनके विपरीत प्रभावों को कम कर लेते हैं| हम सब की ऊर्जा का केंद्र सूर्य है,  वेदों में इसी सूर्य को इंद्र कहा गया है| 

 सूर्य, सौरमंडल का राजा है|  इसी सूर्य से सौरमंडल ऊर्जा ग्रहण करता है|  इसी से स्वर्ग शब्द की उत्पत्ति हुई है| सूर्य और सौर मंडल से जुड़कर हम ऊर्जा प्राप्त करते हैं अपनी ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते हैं और उसी से हमें सुख मिलता है यही सुख स्वर्गीय आनंद है| relation between human body and universe,human connection to stars,how to connect with universe energy,we are all connected to everyone and everything in the universe,metaphysical connection,human energy connection,our connection to the earth,how are all humans connected,quantum physics everything is connected,everything is connected to everything else theory,everything is connected theory,everything is connected quote,everything is connected philosophy,everything is connected meaning,everything is connected series,everything is connected dark,The Truth of Life,Theory of everything,In the spirit of nature, everything is connected,Balance Your Body: Vibrations and Frequencies,Balance Your Body: Vibrations and Frequencies,Discussion of human resonant frequency , human vibration frequency chart,how to measure human vibrational frequency,frequencies that affect the human body,do humans vibrate at different frequencies,vibrational frequency chart,vibrational frequencies,human frequency,cell vibration frequency

 

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