 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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इसके अलावा देश दुनिया से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की इस दिन सर्व सुविधायुक्त एयरपोर्ट की भी सौगात मिलेगी..!
झारखंड के देवघर में स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल बैद्यनाथ धाम अब नया स्वरूप ले चुका है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से दसवें ज्योतिर्लिंग बैद्यनाथ के इस बदले स्वरूप का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 जुलाई को करेंगे। इसके अलावा देश दुनिया से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की इस दिन सर्व सुविधायुक्त एयरपोर्ट की भी सौगात मिलेगी।
तस्वीरों में देखिये बैद्यनाथ धाम का आकर्षक स्वरूप और जानिये यहाँ की महिमा
शिवपुराण में इस बात का उल्लेख है कि माता सती के शरीर के 52 खंडों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने सभी जगहों पर भैरव को स्थापित किया था। देवघर में माता का हृदय गिरा था। इसलिए इसे हृदय पीठ या शक्तिपीठ भी कहते हैं।
शास्त्रों के अनुसार माता सती के हृदय की रक्षा के लिए भगवान शिव ने यहां जिस भैरव को स्थापित किया था, उनका नाम बैद्यनाथ था। इसलिए जब रावण शिवलिंग को लेकर यहां पहुंचा, तो भगवान ब्रह्मा और विष्णु ने भैरव के नाम पर उस शिवलिंग का नाम बैद्यनाथ रख दिया था।
वैसे तो भगवान शिव के सभी मंदिरों में त्रिशूल लगा होता है लेकिन देवघर के बैद्यनाथ मंदिर परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण और अन्य सभी मंदिरों में पंचशूल लगे हैं। इसे सुरक्षा कवच माना गया है।
पंचशूल को लेकर माना जाता है कि त्रेता युग में रावण की लंकापुरी के द्वार पर सुरक्षा कवच के रूप में भी पंचशूल स्थापित था।
यह भी माना जाता है कि रावण को पंचशूल यानी सुरक्षा कवच को भेदना आता था, लेकिन ये भगवान राम के वश में भी नहीं था। विभीषण के बताने के बाद ही प्रभु श्री राम और उनकी सेना लंका में प्रवेश कर पाए थे। कहा जाता है कि इस पंचशूल के कारण मंदिर पर आज तक किसी प्राकृतिक आपदा का असर नहीं हुआ।
 
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