Published By:धर्म पुराण डेस्क

आत्म दर्शन ही तुम्हारा एकमात्र कर्तव्य है

मनुष्य जीवन में आत्म दर्शन का महत्वपूर्ण स्थान है। यह वह कर्तव्य है जिसके लिए हम जन्म लेते हैं। आत्म दर्शन से ही हम अपने आदिकारण, आदिषक्ति, और अंतरात्मा का साक्षात्कार कर सकते हैं। इसके बिना, हम अपने वास्तविक स्वरूप और उद्देश्य से अजाने रहते हैं और अनगिनत जीवनों में संसार में फंसे रहते हैं।

परमात्मा एक ही है

आत्म दर्शन के माध्यम से हम जानते हैं कि परमात्मा एक ही है, और वह सबका सम्पूर्ण स्रोत है। यह आवश्यक ज्ञान है क्योंकि विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं के तहत लोग अपने ईश्वर को भिन्न-भिन्न रूपों में मानते हैं, लेकिन आत्म दर्शन के माध्यम से हम यह जानते हैं कि सबका मूल और एकमात्र ईश्वर एक ही है।

रज्जु में सर्प के भ्रम जैसा

आत्म दर्शन का महत्वपूर्ण पहलु यह है कि वह हमें अपनी भ्रान्तियों से मुक्त करता है। यह समझने में मदद करता है कि जगत और हमारा स्वरूप कैसे अपने असली रूप में छिपे हुए हैं।

रज्जु ज्ञान मिटने पर सर्प की भ्रान्ति

रज्जु में सर्प के भ्रम के साथ ही हम देखते हैं कि जब हम अखण्ड ज्ञान की प्राप्ति करते हैं, तो सर्प की भ्रान्ति जिस प्रकार से मिट जाती है, वैसे ही आत्म दर्शन के माध्यम से हम अपनी असली स्वरूप को समझते हैं और संसार में फंसे रहने की भ्रान्ति समाप्त होती है।

आत्म दर्शन के माध्यम से हम जीवन के असली उद्देश्य को समझते हैं और अपनी आत्मा को समर्पित करने का मार्ग चुनते हैं। यह हमें सच्चे खुशी, शांति, और सामर्थ्य की ओर ले जाता है।

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