Published By:धर्म पुराण डेस्क

आत्मानुभव: अपने असली रूप की पहचान

जीवन में हम सभी अनेक प्रकार के अनुभवों को जीते हैं - सुख और दुःख, मान और अपमान, लाभ और हानि, और भी बहुत कुछ। इन अनुभवों के बीच हम अकेले अपने सोच, भावनाओं, और अंतरात्मा की गहराईयों में खो जाते हैं।

शरीर और आत्मा का विवेक भाग्यशाली हैं वे जो यह अनुभव कर सकते हैं कि हमारा शरीर सिर्फ एक आवास है, हमारे असली रूप की पहचान करने का साधन, और सच्ची खुशियों की कुंजी नहीं। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम अपने शरीर के पीछे छिपी आत्मा का विवेक करें, जिससे हम सच्चे सुख की पहचान कर सकें।

चैतन्य आत्मा: असीम शक्ति वास्तविकता में, हम शरीर के पार एक अमिट शक्ति का अहसास कर सकते हैं - चैतन्य आत्मा का। हमारी आत्मा हमारे सभी अनुभवों का साक्षी है, जो सदैव निष्कलंक और अमर रहती है। यह अनन्त शक्तियों से युक्त है और हमें अपने जीवन की दिशा में सच्चे उद्देश्य की पहचान करने में मदद करती है।

सार की पहचान हमारे जीवन के सभी मोड़ों में, हमें यह याद दिलाने वाला एक अद्वितीय सत्य है - हम शरीर से ज्यादा हैं, हम आत्मा हैं। हमारे असली आत्मा का अनुभव करके हम जीवन के प्रत्येक पहलू को सही दृष्टिकोण से समझ सकते हैं और सही निर्णय ले सकते हैं।

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