हिंदू पंचांग में, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हेरंब संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाने का परंपरागत अवसर होता है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्म से संबंधित है और भगवान गणेश की पूजा और अर्चना करने का अवसर प्रदान करता है।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी के इस पावन दिन पर भक्तगण भगवान गणेश के आशीर्वाद की कामना करते हैं और संकष्टी (संकटों) से मुक्ति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
तीन सितंबर: हेरंब संकष्टी चतुर्थी का महत्व और पूजा विधि
हेरंब संकष्टी चतुर्थी, जिसे अन्य नामों पर "संकष्टी चतुर्थी" भी जाना जाता है, भगवान गणेश के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है और इसे भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से संकष्टों का निवारण होता है और भक्तों को सफलता और सुख-संपत्ति की प्राप्ति में मदद मिलती है।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी का महत्व: इस व्रत का महत्व भगवान गणेश के जन्म के अवसर पर होता है। भगवान गणेश को विद्या, बुद्धि, और विवादों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, इस दिन को गणेश भक्तों के लिए खास महत्व होता है। इसका पूजन विशेष रूप से विद्या, विवादों के निवारण, और सफलता के लिए किया जाता है।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि: इस व्रत की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन कर सकते हैं:
अनुष्ठान की तैयारी: पूजा के लिए विशेष रूप से भगवान गणेश के मूर्ति, लाडू, मोदक, अपने पूजा सामग्री, अच्छम, रोली, चावल, दीपक, गुग्गुल, कुमकुम, गोलू आदि की तैयारी करें।
व्रत आरंभ करें: सुबह उठकर निर्दिष्ट नियमों के साथ व्रत का आरंभ करें। निराहार रहकर इस दिन का उपवास करें।
पूजा करें: सुबह या संध्या को, भगवान गणेश के मूर्ति को विशेष ध्यान दें और उन्हें अपने मन, वचन, और क्रिया से पूजें। मोदक, लाडू, और अन्य प्रसाद को भगवान को समर्पित करें।
कथा सुनें: व्रत के दिन भगवान गणेश की कथा सुनें और उनके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं को जानें।
आरती: व्रत के बाद, भगवान गणेश की आरती करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
व्रत का उपवास खोलें: व्रत के दिन के बाद, उपवास को खोलें और विशेष प्रसाद का भोजन करें।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पालन करके भक्त भगवान गणेश से अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की कामना करते हैं। इस दिन को ध्यान और भक्ति में गुजारकर, वे अपनी समस्याओं का निवारण प्राप्त कर सकते हैं और भगवान गणेश के आशीर्वाद से नई शुरुआतों की ओर बढ़ सकते हैं।
व्रत का महत्व:-
हेरंब संकष्टी चतुर्थी का व्रत गणपति भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों को संकष्टों से मुक्ति मिलती है, और वे सुख, समृद्धि, और आनंद के साथ जीवन जीने की कामना करते हैं। इस दिन का व्रत खासकर गृहिणियों और पारिवारिक महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, और वे इसे पूरे आस्था और भक्ति के साथ मनाती हैं।
व्रत की विधि:-
* व्रत की शुरुआत स्नान के साथ होती है। स्नान के बाद सफेद वस्त्र पहनकर सुच में बैठकर गणपति भगवान की पूजा करनी चाहिए।
* गणपति मूर्ति की पूजा के लिए धूप, दीप, फूल, नैवेद्य, मिश्रित फल, मिश्रित खिलौने, और बिल्वपत्र का उपयोग किया जाता है।
* भक्तगण गणेश चालीसा, गणपति आरती, और अन्य भगवान गणेश के भजन गाते हैं।
* व्रत के दिन भगवान गणेश की कथा का पाठ किया जाता है, जिसमें उनके जन्म की कहानी सुनाई जाती है।
* ध्यान और मनन के बाद, भक्तगण भगवान गणेश की आराधना करते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं।
नियम और सावधानियां:-
व्रत के दिन व्रती को निर्जला उपवास करना चाहिए, जिसमें खाने पीने की कोई वस्तु नहीं ली जाती है.
व्रत के दिन जल के साथ सुख मिश्रित फल, संदूकनी व्रत वाले खाद्य पदार्थ, खीर, और मिश्रित फल का नैवेद्य बनाकर भगवान गणेश को चढ़ाया जाता है। व्रती को यथासंभव गणेश मंदिर जाने चाहिए और वहां पूजा अर्चना का अवसर प्राप्त करना चाहिए.
हेरंब संकष्टी चतुर्थी का व्रत गणपति भक्तों के लिए एक पवित्र और धार्मिक अवसर होता है, जिसमें वे भगवान गणेश की पूजा करके उनके आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को सुखमय बनाने की कामना करते हैं। इस दिन का व्रत समृद्धि और समृद्धि की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है, और गणपति भक्तों के लिए यह एक खास और धार्मिक अनुभव प्रदान करता है।
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