 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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शैव धर्म विश्व के एक प्रमुख धार्मिक संप्रदाय में से एक है। इसमें कई सम्प्रदाय हैं जो अपने-अपने सिद्धांतों और आचार्यों के माध्यम से पहचाने जाते हैं।
प्रमुख शैव सम्प्रदाय:
पाशुपत सम्प्रदाय: यह सम्प्रदाय शैव धर्म का सबसे प्राचीन सम्प्रदाय है, जिसकी उत्पत्ति ई.पू. 2 वीं सदी में हुई थी। इसमें शिव को परमेश्वर माना जाता है और योग तथा अद्वैतवाद को महत्त्वपूर्ण ठेसपंथी हैं।
कापालिक सम्प्रदाय: यह सम्प्रदाय भैरव को शिव का अवतार मानता है और उनकी उपासना करता है। इसमें विशेष आचार और उपासना की जाती है जो आम धार्मिक संस्कृति से अलग है।
लिंगायत सम्प्रदाय: यह सम्प्रदाय दक्षिण भारत में विकसित हुआ और इसमें शिवभक्ति और भक्ति साधने का महत्वपूर्ण स्थान है। इसमें समाज में सामंजस्य, समानता, और सभी के मुक्ति की प्रमोत्साना की जाती है।
शैव धर्म में सिद्धांत:
शैव धर्म में पांच पदार्थों की सत्ता को मान्यता दी जाती है: कार्य, कारण, कारणान्तर, कारणातीत, और कारणातीतान्तर। यहां, शक्ति शिव का एक अहित रूप है जो सृष्टि, स्थिति, और संहार की शक्ति है।
आचार और विधि:
शैव धर्म में साधकों को ध्यान, तप, पूजा, और सेवा के माध्यम से आत्मा के अद्वितीयता की प्राप्ति के लिए प्रेरित किया जाता है। समाज में शांति, सामंजस्य, और दया के सिद्धांतों पर भी जोर दिया जाता है।
शैव धर्म भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है जो भक्ति, ध्यान, और ज्ञान के माध्यम से आत्मा को मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग प्रशिक्षित करता है।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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