Published By:अतुल विनोद

शक्तिपात कुण्डलिनी महा-सिद्ध-योग .. अतुल विनोद

शक्तिपात कुण्डलिनी महा-सिद्ध-योग..अतुल विनोद  कुंडलिनी शक्ति का जागरण शक्तिपात से होता है|  जब शक्ति के जागरण की जिज्ञासा पैदा होती है तो समझ लेना चाहिए कि महाशक्ति की प्रेरणा ही इसके पीछे काम कर रही है|  

जब महाशक्ति का अनुग्रह होता है तब ही जिज्ञासा पैदा होती है| जब शक्ति का अनुग्रह होता है तो हमारे अंदर आस्तिकता, श्रद्धा, विश्वास, सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय, ब्रम्हचर्य जैसे गुण प्रकट होते हैं| यह शक्तिपात सीधे शक्ति के अनुग्रह से हो सकता है या शक्ति की कृपा के कारण सद्गुरु के अनुग्रह से| जब जिज्ञासा पैदा होती है तो इसके साथ ही भाव पवित्र होने लगते हैं|  ईश्वर से लगाव बढ़ जाता है| 

ध्यान और सपने में सिद्ध महात्मा, देवता, देवी के दर्शन होने लगते हैं| इस वक्त उस सर्वोच्च सत्ता तक पहुँचने की इच्छा प्रबल हो जाती है|  व्यक्ति का आत्म-तत्व के प्रति  श्रद्धा भाव और विश्वास बढ़ जाता है| वास्तव में आत्म तत्व देखा नहीं जा सकता लेकिन उसकी अनुभूति की जा सकती है| 

जैसे वस्तु के स्वाद को देखा नहीं जा सकता लेकिन उसकी अनुभूति होती है|  जैसे करंट को देखा नहीं जा सकता लेकिन उसकी अनुभूति होती है|  जैसे वायु को देखा नहीं जा सकता लेकिन उसकी अनुभूति होती है|  शक्ति के अनुग्रह और जागरण से इस आत्म और परम तत्व की अनुभूति अपने अंदर ही होने लगती है| शक्ति की अनुभूति के द्वारा जो बोध होता है उसे अनुभव कहते हैं| ये शक्ति “पर” तक पहुचाती है इसीलिए ये परा शक्ति ही अनुभूति कहलाती है| यही शक्ति भावों का उद्बोधन करती है| ये भाव ही इच्छा है इससे ही ज्ञान और क्रिया होती ही | 

इसीलिए इसे ज्ञानवती और क्रियावती   कहा जाता है|  भावबोध के साथ क्रियावती और ज्ञानवती शक्ति “पर” तक पहुचती है | “पर” तक पहुचाने वाली ये शक्ति ही अनुभूति है|  शक्ति के जागृत ना होने पर ज्ञान नहीं हो सकता ज्ञान के बिना क्रिया नहीं हो सकती और क्रिया के बिना “पर” का साक्षात्कार नहीं हो सकता| अनुभूति/ पराशक्ति पांच प्रकार की होती है  अलग-अलग भावों के साथ अपने उत्थान के रास्ते के अवरोध को हटा देती है|  

विभिन्न क्रियायों से अवरोधों को हटाते हुए यह उस परम शक्ति को उस तरह उद्घाटित कर देती है जैसे बादल को हटाते ही सूर्य प्रकट हो जाता है|  वृत्तियाँ ही बादल हैं जिनसे सूरज ढका हुआ है|  जैसे-जैसे यह विशिष्ट शक्ति क्रियावती होती है वृत्तियों का निरोध होने लगता है| जैसे जैसे वृत्तियों का निरोध होता है ज्ञान रुपी सूरज से बादल हटने लगते हैं|  यह अनुभव युक्त ज्ञान है|  परमात्म ज्योति , परम प्रकाश इसी ज्ञान से अनुभव का विषय बन जाते हैं|  यहाँ किसी तरह का भ्रम नहीं रहता महाशक्ति स्वयं क्रियावती और ज्ञानवती होकर प्रकाश बन जाती है और इसी शुद्ध प्रकाश में परम प्रकाश  प्रकट होता है|  इसे प्रत्याभास कहते हैं ज्ञान के साथ मन एकाग्र होने लगता है|  

यहाँ ध्यान घटित होता है … इन्द्रिय स्वभाविक रूप से बाहर भागना बंद कर देती है, भोगों की इच्छा खत्म होने लगती है… यही वृत्ति निरोध और इन्द्रिय निग्रह की अवस्था है|  भोग, विषय, वासना हटते ही रोगों का नाश होने लगता है|  ध्यान से परम का प्रत्याभास होने लगता है|  

इस तरह क्रिया से ज्ञान और ज्ञान से ध्यान होता है|  ध्यान से पहले ज्ञान, ज्ञान से पहले क्रिया, क्रिया प्राणायाम प्रधान है| जागृत शक्ति द्वारा स्वयं होने वाला प्राणायाम सिद्ध प्राणायाम है|   शक्तिपात मार्ग में पहले इन्द्रिय निग्रह होता है फिर मन का निग्रह|  मन का निग्रह प्राण के निग्रह से होता है|  

मन प्राण के अधीन होता है|  इसलिए शक्ति सिद्ध प्राणायाम से प्राण का संयम करती है|  यहाँ बोध अवस्था प्राप्त होती है|  बोध होने पर परम का ज्ञान, ध्यान में होने लगता है|  ज्ञान से ध्यान और ध्यान से परम का बोध …..बस उसी की इच्छा … उसी में निमग्न ….. आनंद का प्रकाश … बार बार उसी में रम जाने की चेष्टा …. बस लय हो जाओ …..  इस बोध अवस्था में शिव और शक्ति दोनों का ज्ञान होता है|  मैं वही हूँ … सो… हम ………… इस स्पंदन शक्ति से कुण्डलिनी चक्र भेदन और ग्रंथि भेदन के लिए प्रेरित होती है|  

बोधावस्था के बाद सिद्धावस्था आती है … इस अवस्था में कुण्डलिनी की मौजूदगी का पता चलता रहता है.. इस अवस्था में साधक में मंत्र ज्ञान प्रकट होता है|  औषधि ज्ञान और संस्कार जन्य ज्ञान भी प्रकट होते हैं| यहाँ ब्रम्ह का सत्य, आदि, आनंद, नित्य रूप का ज्ञान होता है ये सिद्धावस्था है|    

Shaktipat Sadhana,How to do Shaktipat,Shaktipat mantra,Shaktipat yoga secrets,Shaktipat Diksha Guru,Guru shaktipat,The meaning of Shaktipat,Ways to power,Siddha Yoga method of meditation,Siddha Yoga,Siddha Yoga experience,What is Siddha Mahayoga,Siddha Mahayoga,Siddha Mahayoga means,Nath Yoga: Nath Yoga,Shri Gorakh Nath Ji Yoga, Guru Machandar Nath,Matsyendranath Mantra,Guru Machhindranath,Who is Siddha, शक्तिपात साधना,शक्तिपात कैसे करें,शक्तिपात मंत्र,शक्तिपात योग रहस्य,शक्तिपात दीक्षा गुरु,गुरु शक्तिपात,शक्तिपात का अर्थ,शक्तिपात करने के तरीके,सिद्धयोग ध्यान की विधि,Siddha Yoga,सिद्धयोग अनुभव,सिद्धमहायोग क्या है,सिद्ध महायोग,सिद्ध महायोग साधन,नाथ योग: Nath Yoga ,श्री गोरख नाथ जी योग,गुरु मछंदर नाथ ,मत्स्येंद्रनाथ मंत्र,गुरु मछिंदरनाथ,सिद्ध कौन है,  

 

धर्म जगत

SEE MORE...........