Published By:धर्म पुराण डेस्क

श्रीराम की सहायता के लिए शिव ने लिया हनुमान अवतार

शिवपुराण के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने वानर जाति में हनुमान के रूप में अवतार लिया था। हनुमान को भगवान शिव का श्रेष्ठ अवतार कहा जाता है। 

जब भी श्रीराम-लक्ष्मण पर कोई संकट आया, हनुमानजी ने उसे अपनी बुद्धि व पराक्रम से दूर कर दिया। वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में स्वयं भगवान श्रीराम ने अगस्त्य मुनि से कहा है कि हनुमान के पराक्रम से ही उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की है। हम आपको हनुमानजी द्वारा किए गए कुछ ऐसे ही कामों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें करना किसी और के वश में नहीं था- अनेक राक्षसों का वध युद्ध में हनुमानजी ने अनेक पराक्रमी राक्षसों का वध किया, इनमें धूम्राक्ष, अकंपन, देवांतक, त्रिशिरा, निकुंभ आदि प्रमुख थे। 

हनुमानजी और रावण में भी भयंकर युद्ध हुआ था। रामायण के अनुसार हनुमानजी का थप्पड़ खाकर रावण उसी तरह कांप उठा था, जैसे भूकंप आने पर पर्वत हिलने लगते हैं। हनुमानजी के इस पराक्रम को देखकर वहां उपस्थित सभी वानरों में हर्ष छा गया था। हनुमानजी ने ऐसे और कौन से काम किए, जिन्हें करना किसी अन्य के लिए संभव नहीं था. 

हनुमानजी के अद्वितीय कार्य: राक्षसों का संहार और रावण से युद्ध

धूम्राक्ष का वध: हनुमानजी ने राक्षस धूम्राक्ष का वध किया जो भगवान राम की सेना के साथ युद्ध करने का निर्णय लेता था। हनुमानजी ने अपनी भूदेवी शक्ति का उपयोग करके धूम्राक्ष को अपने पैरों से कुचल दिया।

अकंपन का संहार: हनुमानजी ने राक्षस अकंपन का वध किया जो वानर सेना के प्रति क्रोधित था। हनुमानजी ने अपनी वीरता और बल से अकंपन को मात दिया।

रावण के साथ युद्ध: हनुमानजी ने राक्षस राजा रावण के साथ भी भयंकर युद्ध किया। इस युद्ध में हनुमानजी ने रावण को धरती पर पीट दिया और उन्हें अपनी भयंकर रूप भरी भूत-प्रकटि दिखाई। युद्ध के बाद, हनुमानजी ने सीता माता को सुरक्षित और सार्थक संदेश दिया और उनकी आशीर्वाद प्राप्त किया।

त्रिशिरा, निकुंभ आदि के संहार: हनुमानजी ने अनेक प्रमुख राक्षसों को भी मार गिराया, जैसे कि त्रिशिरा और निकुंभ। उनकी वीरता और ब्रह्मचर्य ने उन्हें असीम शक्ति प्रदान की और उन्होंने राम की सेना को सफलता प्रदान की।

अशोक वाटिका का दहन: हनुमानजी ने श्रीराम की खोज में लंका पहुंचकर अशोक वाटिका में माता सीता से मिलने के बाद, उसे सुन्दर विराजमान हनुमानजी ने अशोक वाटिका को आग लगा दिया।

हनुमानजी ने अपने अद्वितीय बल, वीरता, और भक्ति के साथ राम के सेवार्थ अनगिनत कार्य किए और राक्षसों के संहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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