Published By:धर्म पुराण डेस्क

बिना बिल्व पत्र के शिव पूजा पूरी नहीं होती 

शिवलिंग पर चढ़े हुए बिल्व को अगर पूजा करते समय ताजा बिल्व पत्र न मिले तो फिर से चढ़ाया जा सकता है।

सावन में हर दिन शिव की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस महीने में पूजा करने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर कोई व्यक्ति विधिवत पूजा नहीं कर सकता, तो शिवलिंग पर जल और बिल्व पत्र चढ़ाकर भी पूजा कर सकता है। इस तरह की पूजा भी अक्षय पुण्य देती है। "अक्षय पुण्य" का अर्थ है ऐसा पुण्य जो जीवन भर प्रभावी रहता है।

ज्योतिषाचार्य कहते है कि शिव पूजा में बिल्व पत्र चढ़ाना अनिवार्य है क्योंकि इसके बिना पूजा असफल होती है। अगर पूजा करते समय बिल्व पत्र नहीं मिलता, तो शिवलिंग पर चढ़ा हुआ फिर से धोकर चढ़ा सकते हैं। 

शिव पुराण कहता है कि बिल्व पत्र कई दिनों तक बासी नहीं होता। इसलिए आप बिल्व पत्र को बार-बार धोकर शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं।

ये पत्तियां भी शिवलिंग चढ़ा सकते हैं।

शिवलिंग पर शमी के पत्ते, बिल्व पत्र, धतूरा या आंकड़े के फूल भी चढ़ा सकते हैं। शनि, गणेश और शिव को भी शमी के पत्ते चढ़ाएं जाते हैं। माना जाता है कि शिव पूजा में शमी के पत्ते चढ़ाने से कुंडली में शनि के दोष कम होते हैं।

कब बिल्कुल नहीं तोड़ना चाहिए?

बिल्व पेड़ की पत्तियों को तोड़ने के नियम भी हैं। शिव पूजा के लिए अष्टमी, चतुर्दशी या अमावस्या तिथि पर बिल्व नहीं तोड़ना चाहिए। इसके अलावा, रविवार को बिल्व पत्र को नहीं तोड़ना चाहिए। यह तिथि है जब आप शिवलिंग पर चढ़े हुए बिल्व पत्र को धोकर फिर से भगवान को चढ़ा सकते हैं।

बिल्व पौधा घर या मंदिर में लगा सकते हैं।

बिल्व का पौधा सावन महीने में किसी सार्वजनिक स्थान पर, किसी मंदिर में या घर-आंगन में लगाया जा सकता है। बिल्व के पौधे से घर के आसपास की नकारात्मकता दूर होती है, यह माना जाता है। इस पेड़ ने वास्तुदोष को भी दूर किया है। यदि आपके घर में बिल्व का पौधा है, तो आप हर दिन शिव पूजा में बिल्व की पत्तियां चढ़ा सकते हैं।

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