ग्रंथों में यह कहा गया है कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में जलदान से बड़ा पुण्य मिलता है। शुक्ल पक्ष में ही नौतपा खत्म होता है और जल से जुड़े दो बड़े पर्व भी मनाए जाते हैं।
दशमी तिथि पर गंगा दशहरा और उसके अगले दिन निर्जला एकादशी। एक और जहां गंगा दशहरा पर गंगा पूजन किया जाता है तो दूसरी ओर निर्जला एकादशी पर निर्जला उपवास किया जाता है। ये दो ही पर्व पानी की अहमियत बताने वाले होते हैं। इनमें जलदान बेहद पुण्यकारी होता है।
सूर्योदय से पहले शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद जरुरतमंद लोगों को भोजन और कपड़ों का दान करना बेहद फलदायी माना जाता है।
गर्मी के कारण जलदान का भी ज्यादा महत्व है। गर्मी से बचाव के लिए छाते का भी दान कर सकते हैं।
इन दिनों में सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। इस दौरान 'ऊँ सूर्याय नम:; मंत्र का जाप किया जाता है। सूर्य देव को प्रणाम करने से स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
शुक्ल पक्ष में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री यानी चार धाम की यात्रा भी जारी रहती है। यह यात्रा पुण्य के साथ मन को प्रसन्नचित्त करने वाली है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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