 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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मेले, सिंहस्थ..
बारह वर्ष के अंतराल में राज्य के उज्जैन नगरी में शिप्रा नदी के किनारे सिंहस्थ का मेला लगता है। इस मेले में साधु-संतों ओर अखाड़ों के साथ ही धार्मिक आयोजनों व प्रवचनों के साथ ही बड़ी संख्या में व्यापारिक गतिविधियां होती हैं। इनमें करोड़ों लोग भाग लेते हैं।
संख्या की दृष्टि से इसे राज्य का सबसे बड़ा मेला माना जा सकता है। उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ को लेकर पौराणिक आस्था है कि "एक बार देवताओं और दानवों ने मिल-जुलकर समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन से दूसरी चीजों के साथ अमृत कलश निकला।
देवताओं और दानवों दोनों के मनों में इसको लेकर लोभ आ गया। इसके चलते भगवान इन्द्र ने अपने पुत्र जयंत को अमृत कलश लेकर भाग जाने के लिए कहा। पिता का इशारा मिलते ही जयंत भागा तो दानव भी उसके पीछे लग लिए। इस भाग-दौड़ में कलश से अमृत की कुछ बूंदें छलक कर गिर गईं।
पृथ्वी के जिन चार स्थानों प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में यह बूँदें गिरीं वहाँ बारह वर्ष बाद कुंभ आयोजित होता है। कहते हैं कि इस दौरान यहां की पवित्र नदियों में स्नान से पुण्य लाभ प्राप्त होता है।"
 
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