Published By:धर्म पुराण डेस्क

सुखी जीवन के सरल सूत्र

हम सभी अपने जीवन में सुखी रहना चाहते हैं किन्तु सुखी रह नहीं पाते हैं, निश्चय ही यह पूरी तरह से हमारे बस में नहीं है किन्तु फिर भी कुछ बातों का यदि हम ध्यान रख सके तो सुखी रहने के मकसद में बहुत सीमा तक सफल हो सकते हैं -

किसी को दुःख न दें -  

सबसे पहले हम ऐसे किसी भी कार्य-व्यवहार से बचने की कोशिश करें जिससे किसी को भी दुःख पहुँचता हो. क्योंकि जानकर या बदले की भावना रखते हुए जब हम किसी को दुःख पहुँचाने का प्रयास करते हैं तो इस प्रयास में हम स्वयं भी कुछ तो दुखी होते ही हैं और फिर सामने वाला भी ऐसा ही जबाबी कार्य करता है जिससे हमें दुःख पहुँचे याने दोनों ओर से दुःख पलटकर हमारे पास ही आता है। अतः सुखी होने के प्रयास को बनाये रखने के लिये कभी भी किसी को अपनी ओर से दुःख न दें ।

अनावश्यक चिंताओं से बचें - 

ऐसे कोई भी कारण जैसे भ्रष्टाचार, निरंतर बढ़ती महंगाई, ट्रेन का समय पर न आना व इससे मिलते जुलते वे सभी कारण जिनसे हम प्रभावित तो होते हैं किन्तु जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता उनके प्रति सोच-सोचकर स्वयं को दुःखी न होने दें ।

क्षमा-भाव रखें - 

परिवार-समाज व अपने सर्कल में सभी संबंधित लोगों का व्यवहार हमारे चाहे मुताबिक कभी नहीं हो सकता, यह स्थिति जाने अनजाने हममें क्रोध व कई बार ईर्ष्या के भाव पैदा करती है जो अंततः हमारे ही दुःख का कारण बनती है अतः क्षमा, सहानुभूति, सेवा व शांतिप्रियता जैसे गुणों को अपनाकर हम न सिर्फ सबके प्रिय बने रह सकते हैं बल्कि अपने अधिकांश कार्य अधिकतम संबंधितों के सहयोग से कम समय व प्रयास में पूर्ण कर सकते हैं ।

हँसते रहें-हँसाते रहें - 

यह सर्वविदित सत्य है कि हँसते रहने से उपजी प्रसन्नता के कारण हमारे शरीर की मांसपेशियां अधिक सबल व स्वस्थ होती हैं और इससे स्वमेव ही हम रोगमुक्त भी होते हैं. इसलिए हम अपने चारों ओर निरंतर बढ रहे हास्य क्लबों का विकास होते भी देख ही रहे हैं। अतः कामेडी फिल्में, जोक्स, चुटकुले, विनोदप्रिय मित्रों की संगति व ऐसे सभी माध्यम जो हमें हँसने-हँसाने का मौका देते हो के अधिकतम संपर्क में रहने का प्रयास करें, किन्तु हँसते रहने के प्रयास में कभी किसी की हँसी उडाने का प्रयास न करें किसी की हँसी उडाने का प्रयास न करते हुए निरन्तर हँसते रहने के अवसर तलाशते रहें ।

फिजूलखर्ची से बचें - 

यह भी एक कारण है जो आगे-पीछे हमें दुःखों के जाल में ढकेल सकता है। हमारी आमदनी चाहे जो हो किन्तु झूठी तडक-भडक व दिखावे में पडकर हम किसी भी गैर जरूरी खर्च से यदि स्वयं को बचाते चलने का प्रयास करेंगे तो आर्थिक कारणों से दुखी होने की संभावना नहीं रहेगी। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हम कंजूस हो जावें, बल्कि जहां आवश्यक हो वहाँ बडे से बडे खर्च में भी पीछे नहीं हटें किन्तु जहाँ आवश्यकता न हो वहाँ व्यर्थ के दिखावे या फिजूलखर्ची से बचें।

स्वयं को समझदार साबित करने की कोशिश से बचें - 

हम अपनी समझ के मुताबिक पर्याप्त समझदार हो सकते हैं शायद हों भी किन्तु कई बार जब हम अपनी समझदारी के किस्से किसी के सामने बखान करने बैठ जाते हैं तो सामने वाले के मन-मस्तिष्क में हमारी छवि खराब ही होती है जो आगे चलकर हमारे दुःख का कारण बनती है। अतः अपने सयाने बुजुर्गों की यह सलाह भी गांठ बांध लें कि जो सुख चाहे जीव तो भोंदू बनके जी।

तो ये वे माध्यम हैं जो आपके-हमारे व किसी के भी जीवन को सुखपूर्वक गुजरवाने में हमेशा मददगार साबित होते हैं।


 

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