 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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उपचार, इलाज -
मौसम बदलने पर मुंह की त्वचा एवं होंठ फटने की शिकायत शुरू हो जाती है। त्वचा में दरार पड़ना और अत्याधिक होठ फटने से चेहरे की सुन्दरता भी कम हो जाती है। कभी-कभी तो होंठ इतने अधिक फट जाते हैं, जिससे उनमें से रक्त रिसने लग जाता है।
ऐसी स्थिति में खान-पान में अधिक दिक्कत पैदा होती है। हंसने एवं बोलने पर भी विपरीत असर पड़ता है। अतः अगर शीत ऋतु प्रारम्भ होने से पूर्व ही कुछ सामान्य बातों की सावधानी रखी जाए, तो होंठ, और त्वचा से बचाई जा सकती है। होंठ एवं त्वचा फटने में ये कारक सहायक हो सकते हैं।
1. शरीर में विटामिन ए एवं बी की कमी होना।
2. प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी होंठ व त्वचा फट सकती हैं।
3. संतुलित भोजन नहीं करने से।
4. अधिक सर्दी, कुहरा, पाला पड़ना, तेज बर्फीली हवाओं के चलने से भी होंठ और त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा ये फटकर इनसे खून रिसने लग जाता है।
5. अत्यधिक ठंडे खाद्य पदार्थ, आइसक्रीम आदि का खाना भी ठीक नहीं रहता है। आधुनिक संस्कृति का हिस्सा बनी, आइसक्रीम भोजन के बाद मांगलिक कार्यक्रमों में परोसी जाती है। यह भी होंठ और त्वचा फटने में सहायक कारण हो सकता है।
6. तरह-तरह के कॉस्मेटिक लिपस्टिक, क्रीम लगाने से भी यह दिक्कत हो सकती है।
7. गरिष्ठ खाद्य पदार्थों, तले हुए खाद्य पदार्थ, ठण्डी-वासी खाद्य पदार्थ, फास्ट-फूड और धूम्रपान आदि भी मुंह की त्वचा और होंठ फटने के है।
 
 
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