नौ महीनों के इस समय में हामीनल परिवर्तन के कारण कई सारे शारीरिक और मानसिक बदलाव भी शरीर में दिखाई देते हैं, जो असहजता का कारण बन सकते हैं। बढ़ते वजन के कारण कमर दर्द, सूजन, क्रैम्स और इंकॉन्टीनेंस जैसी तकलीफें उभर सकती है।
व्यायाम इन स्थितियों में काफी हद तक राहत दे सकता है।
• गर्भावस्था के दौरान यूं ही कोई भी एक्सरसाइज वो कर नहीं सकते, लिहाजा कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
● सबसे पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
● एक्सरसाइज के दौरान पर्याप्त पानी और वेंटिलेशन को लेकर भी सतर्क रहे।
● गर्म वातावरण में एक्सरसाइज न करें।
● आरामदायक कपड़े और शूज पहने।
● तीन महीने के गर्भ वाली महिलाओं को पीठ के बल लेटकर एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए।
गर्भावस्था के पहले महीने से ही एक्सरसाइज शुरू की जा सकती है। एक आदर्श एक्सरसाइज प्रोग्राम इस तरह का हो सकता है:
1. वार्म आप 5 मिनट,
2. स्ट्रेचिंग तथा एक्सरसाइज सेशन कम से कम 15-20 मिनट का,
3. एरोबिक, एक्सरसाइज कम से कम 15 मिनट की,
कुछ और महत्वपूर्ण एक्सरसाइज:
पेल्विक फ्लोर मसल्स एक्सरसाइज..
फायदे: गर्भावस्था तथा प्रसव के दौरान बहुत स्ट्रेस में रहने वाली पेल्विक फ्लोर मसल्स को मजबूती देती है। यह डिलीवरी को आसान बनाती है और प्रसव पीड़ा को कम करने में मदद करती है।
● बैठी, खड़ी या लेटी किसी भी पोजीशन में रहें।
● अब महिला को अपनी पेल्विक फ्लोर मसल्स इस तरह सिकुड़ने को कहे जैसे मूत्र या मल त्याग को रोकने के लिए की जाती है। इस स्थिति में रहकर 10 तक गिनती गिनने और फिर सामान्य अवस्था में आ जाए। दिनभर में इसके कम से कम 3 सेट करें और हर बार 10 बार तक रिपीट करें।
फायदे : अंदरूनी जांघों की मसल्स को मजबूती देती है और प्रसव के लिए तैयार करती है।
● क्रॉस सिटिंग पोजीशन में बैठ जाए। दोनों हाथ जांघो पर ऊपर की और रख लें।
● अब फ्लोर की तरफ नीचे हलके से प्रेशर लगाए।
एक्सरसाइज महिलाओं के जीवन का भी महत्वपूर्ण पहलू है। एक सही विशेषज्ञ या फिजियोथेरेपिस्ट के मार्गदर्शन में की गई एक्सरसाइज डिलीवरी के दौरान मांसपेशियों को ताकतवर बनाने, सहन शक्ति बढ़ाने, शरीर के मैकेनिक्स को अच्छी तरह जानने और बच्चे के जन्म के बाद फिर से संतुलित और स्वस्थ शरीर में लौटने में मदद कर सकती है।
गर्भवती महिलाओं को हफ्ते में अधिकांश दिन 30 मिनट प्रतिदिन एक्सरसाइज करनी चाहिए। इससे मिलने वाले फायदों में शामिल हैं।
● यह कई तरह के दर्द में राहत देती है।
● माँ और शिशु दोनों के सर्वयुलेक्शन को सुधारती है।
● शरीर का पोस्चर सही बनाए रखती है, स्टैमिना और एनर्जी को बढ़ाती है।
● नींद में सुधार करती है और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाती है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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