• कुटे हुए गाजर के 100 ग्राम बीज एक पाव पानी में इतना उबालें कि पानी आधा रह जाए। इसे कपड़े से छानकर बासी मुंह तीन दिन पीने से रुका मासिक प्रारंभ हो जाता है।
• ऋतुकाल में तीन दिन तक ढाक के बीज जल में घोटकर पीने से गर्भ नहीं रुकता|
• ढाक के बीज की राख और हींग दोनों को मिलाकर दूध में पीने से गर्भ नहीं ठहरता।
• गाजर के बीज 10 ग्राम, मूली के बीज 10 ग्राम और मेथी के बीज 10 ग्राम लेकर तीनों को एक साथ फोड़ (द्विदाल) कर आधा लीटर जल में काढ़ा बनाएं। जब पानी आधा रह जाए, तो छानकर थोड़ा गुड़ डालकर पीने से हाल ही का रुका गर्भ बाहर आ जाता है।
• एलुआ 240 से 500 मि.ग्रा. नित्य ठंडे जल से लेने से 2-4 हफ्ते का रुका मासिक खुलता है।
• 10 ग्राम गाजर के बीज का चूर्ण बनाकर जल के साथ दो से तीन बार लेने से दो-चार हफ्ते के अनचाहे गर्भ से छुटकारा मिलता है।
• जंगली कपास के काढ़े में जरा-सा एलुआ मिलाकर गर्भिणी को पिलाने से रुका हुआ मासिक खुल जाता है।
• शुद्ध हींग, काला नमक, सोंठ, काली मिर्च, पीपर और भारंगी को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बनाकर प्रतिदिन लगभग 3 ग्राम चूर्ण गुनगुने जल से सुबह-शाम सेवन करने से बहुत दिन का रुका मासिक खुल जाता है।
• योनिद्वार में इन्द्रायण की जड़ की धूनी देने से भी अधिक दिनों का रुका मासिक (रजोधर्म) खुल जाता है।
• 3 ग्राम हल्दी माहवारी शुरू होने के पांचवे दिन सुबह ताजे जल से तीन दिन प्रत्येक माह में खाने से गर्भ रुकने की संभावना न के बराबर होती है। मासिक शुरू होने के आठ दिन तक संभोग से बचें।
• 10 ग्राम सफेद वैसलीन में 2 ग्राम सफेद फिटकरी का बारीक चूर्ण मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को गुप्तांग पर लगाकर संभोग करने से गर्भधारण की संभावना नहीं होती।
• अंड के बीज डालकर माहवारी होने के पांचवे दिन से एक बीज निराहार मुंह निगलने से एक वर्ष तक गर्भ नहीं ठहरता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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