Published By:धर्म पुराण डेस्क

नई डिवाइस से आसान हुई स्पाइन सर्जरी

आधुनिक युग में कमर दर्द एक आम समस्या है जो छोटे से लेकर बड़ों तक को सताती है। गंभीर स्थिति में दर्द से निजात पाने के लिए सर्जरी की जाती है। नई डिवाइस स्पाइन सर्जरी के लिए वरदान की तरह है।

नई डिवाइस से आसान हुई ..

स्पाइन सर्जरी-

यह कमर दर्द क्या है?

रीढ़ की हड्डी में प्रत्येक दो वर्टिब्रा के बीच में एक डिस्क होती है जो कि एक शॉक एब्जॉर्बर का कार्य करती है। घिस जाने पर यह डिस्क फैलकर बाहर निकल आती है और इस कारण से कमर के निचले हिस्से में भयंकर दर्द होता है। यह दर्द दोनों पैरों में भी जा सकता है। अधिकतर लोग विशेषतः युवाओं में डिस्क (कमर) दर्द की शिकायत एक आम बात हो गई है।

अनियमित दिनचर्या-

डिस्क (कमर) दर्द का मुख्य कारण आजकल की अनियमित दिनचर्या है। डिस्क (कमर) दर्द आगे झुकने से, वजन उठाने से, झटका लगने से, गलत तरीके से उठने-बैठने व सोने से, व्यायाम के अभाव से एवं पेट आगे निकलने के कारण भी हो सकता है।

चेन की तरह होती है रीढ़ की हड्डी-

रीढ़ की बनावट साइकिल की चेन के समान लचीली होती है। इस लचीलेपन की वजह से ही इंसान के लिए आगे-पीछे, दाएं-बाएं, झुकना संभव हो पाता है। रीढ़ (स्पाइन) पूरे शरीर में 33 खंडों में बंटी होती है। प्रत्येक खंड को वटींना (मेरुदंड) कहते हैं। प्रति दो खंडों के बीच एक डिस्क होती है जो दो वर्टिब्रा को हुक की तरह जोड़कर रखती है। 

रीढ़ के पीछे स्पाइनल कैनाल होता है, जिसके भीतर से नसें मस्तिष्क से पैर की ओर गुजरती है। स्पाइन जिसका खुद का वजन काफी कम होता है और डिस्क बहुत ही व्यवस्थित ढंग से फिट रहती है। किसी कारण से वर्टीबा के आगे की दिशा पेट की तरफ की बजाय पीठ की तरफ खिसकती है तो वह मरीज के लिए

बहुत घातक होता है। सबसे मजबूत कमर है-

मनुष्य के शरीर में कमर को सबसे मजबूत भाग माना जाता है। हमारी कमर की बनावट में कार्टिलेज (डिस्क), जोड़, मांसपेशियां, लिगामेंट व नसें आदि सभी शामिल हैं। इनमें से किसी के भी विकारग्रस्त होने पर कमर दर्द उत्पन्न हो सकता है। टेक्निकल कारणों के साथ टीबी से लेकर कैंसर तक कोई भी कारण दर्द पैदा कर सकता है। कमर दर्द की शिकार पुरुषों से अधिक महिलाएं हैं जिसका मुख्य कारण होता है कमर की मांसपेशियों की कमजोरी और विकार |

क्या हैं लक्षण-

कमर दर्द से जुड़ी बीमारियों के प्रायः लक्षण हैं- पैरों का सुन्न होना, भारी या कमजोरी का एहसास होना, पेशाब में परेशानी, चलने पर पैरों के दर्द का बढ़ना, झुकने या खांसने पर पूरे पैर में करंट जैसा लगना आदि। कई बार रोगियों की चाल शराबियों जैसे लड़खड़ाती हो जाती है। 

कमर दर्द के कई मुख्य कारण हैं। ये सभी कारण कई रीढ़ संबंधी बीमारियों को जन्म देते हैं जैसे- स्पोंडिलाइटिस, सर्वाइकल, टीबी, कमर में ट्यूमर, स्लिप डिस्क आदि। स्लिप डिस्क इसमें से एक बहुत ही गंभीर समस्या बन गई है।

आज कई प्रयोगात्मक तरीकों से रीढ़ पर अब छोटा सा चीरा ही पर्याप्त है:

अब मिनीमली इनवेसिव सर्जरी 6 मिलीमीटर से छोटा सा चीरा लगाया जाता है। इसको होल सर्जरी भी कहा जाता है। इसमें एक छोटा पतला टेलीस्कोप इस्तेमाल किया जाता है जिसे इंडोस्कोप कहते हैं। प्रभावित भाग पर एक छोटा सा चीरा लगाकर इंडोस्कोप को अंदर डाला जाता है। इंडोस्कोप को एक छोटे से वीडियो कैमरे से जोड़ा जाता है। उसकी मदद से मरीज का अंदरूनी भाग डॉक्टर को बाहर साफ दिखने लगता है। इसके बाद आवश्यकतानुसार यंत्र डाले जाते हैं और प्रभावित जगह की सर्जरी की जाती है। इसके बाद चीरे पर टांके लगाकर टेप लगा दी जाती है और वह ठीक हो जाता है।

क्या रखें सावधानी-

नरम या गुदगुदे से बिस्तर पर न सोएं बल्कि सपाट पलंग या तख्त पर सोएं ताकि पीठ मांसपेशियों को पूर्ण विश्राम मिले। वजन को हरगिज़ न बढ़ने दें, भले ही इसके लिए डाइटिंग या व्यायाम ही क्यों न करना पड़े। तनाव की स्थितियों से बचें। चिंता दूर करने के लिए खुली हवा में टहलें।

डॉ. सतनाम सिंह छाबड़ा डायरेक्टर 

न्यूरो एंड स्पाइन डिपार्टमेंट सर गंगाराम अस्पताल

नई दिल्ली।

 

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