1- जब नश्वर संसार की उत्पत्ति नहीं हुई थी तब माया कहां थी ?
1- अक्षरधाम में.
2- परमधाम में.
3- कहीं नहीं थी.
उत्तर-1- माया अनादि है, अजन्मी है। जब इस स्वप्न रूपी संसार की रचना नहीं हुई थी तब माया अपने अनादि स्वरूप में अक्षरधाम में थी। पूर्णब्रह्म परमात्मा का परमधाम माया रहित है। वहां माया नहीं है।
2- मोहजल रूपी नींद कब मिटती है?
1- नैमित्तिक प्रलय.
2- प्राकृत प्रलय.
3- महाप्रलय.
उत्तर-3- इस नश्वर संसार की रचना अक्षर पुरुष के चित्त में मोहजल रूपी नींद में, उनके मन के द्वारा हुई है। यह समस्त सृष्टि महाप्रलय में अपने मूल अक्षर ब्रह्म के मन में पुनः लय हो जाती है।
3- इस नश्वर संसार में जो सर्वव्यापी ब्रह्म है वह सत्य है या असत्य है।
1- सत्य है.
2- असत्य है.
उत्तर-2- यह नश्वर संसार असत्य है, असत्य में जो कुछ भी बनता है या व्याप्त रहता है , वह सब असत्य है, क्योंकि सत्य के साथ असत्य नहीं रह सकता है। अतः सर्व व्यापी ब्रह्म भी असत्य है।
4- जीव के साथ जो चेतन रूपी ब्रह्म है, वह ज्ञानी है या अज्ञानी है।
1- ज्ञानी है.
2- अज्ञानी है.
उत्तर-2- जीव के साथ जो चेतन ब्रह्म है, वह प्रतिबिंबित (छाया) है। मूल ब्रह्म तो ज्ञानी होता है, उसको ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है, परंतु इस असत्य संसार में जीव के साथ जो ब्रह्म है, वह असली नहीं होने के कारण, अज्ञानी है। तभी जीव को ज्ञान की आवश्यकता होती है।
5- प्राकृत प्रलय में जीव कहां निवास करते हैं ?
1- नारायण के मन में.
2- आदिनारायण के मन में.
3- अक्षर पुरुष के मन में.
उत्तर-1- ब्रह्मा जी की आयु जब 100 वर्ष पूरी हो जाती है तब ब्रह्मांड की समस्त चल तथा विचल (जीवों सहित) सृष्टि अपने मूल स्वामी नारायण के मन में पुनः विलीन हो जाती हैं ।
बजरंग लाल शर्मा
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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