भारत के तमिलनाडु राज्य में श्रीरंगम नामक द्वीप पर स्थित श्री रंगनाथस्वामी मंदिर हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण वैष्णव मंदिरों में से एक है। भगवान विष्णु को समर्पित, यह विशाल मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला, समृद्ध इतिहास और पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
इतिहास के झरोखे से:
मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। माना जाता है कि इसका निर्माण प्रारंभिक शताब्दियों में किया गया था, और समय के साथ इसका विस्तार किया गया। विभिन्न राजवंशों ने मंदिर के निर्माण और रखरखाव में योगदान दिया है, जिसने इसकी स्थापत्य शैली में विविधता को जन्म दिया है।
वास्तुशिल्प का वैभव:
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर को दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर माना जाता है। यह 150 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें 21 गोपुरम (प्रवेश द्वार टावर) हैं। मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान रंगनाथ की पवित्र मूर्ति को समाहित करता है, जो लेटे हुए विष्णु की मुद्रा में विराजमान हैं। मंदिर की दीवारों और स्तंभों को विस्तृत मूर्तियों और नक्काशियों से सजाया गया है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को चित्रित करती हैं।
धार्मिक महत्व:
हिंदू धर्म में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का बहुत महत्व है। भगवान विष्णु के दक्षिण भारत के चार प्रमुख धामों में से एक होने के नाते, यह मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। वैखानस अगामा परंपरा के अनुसार यहां पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर में कई वार्षिक उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख वैकुंठ एकादशी उत्सव है।
प्रधानमंत्री मोदी का दर्शन:
हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का दर्शन किया और पूजा-अर्चना की। उनकी यात्रा ने इस प्राचीन मंदिर की ओर राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया।
आपकी यात्रा के लिए:
यदि आप दक्षिण भारत की यात्रा कर रहे हैं, तो श्री रंगनाथस्वामी मंदिर को अपनी यात्रा कार्यक्रम में शामिल करना न भूलें। मंदिर तिरुचिरापल्ली शहर से आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर सुबह से शाम तक खुला रहता है। मंदिर परिसर में ही भोजनशाला और विश्राम गृह उपलब्ध हैं।
इस पवित्र मंदिर की यात्रा आपको आध्यात्मिक शांति और भारतीय संस्कृति की समृद्धि का अनुभव प्रदान करेगी।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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