Published By:धर्म पुराण डेस्क

पथरी: प्रकार, कारण और इलाज

पथरी एक कठोर द्रव्यमान है जो शरीर के विभिन्न भागों में बन सकता है, जैसे कि गुर्दे, पित्ताशय की थैली, मूत्राशय, और लार ग्रंथियां। पथरी आमतौर पर खनिजों और लवणों के जमा होने से बनती है।

पथरी के प्रकार:

गुर्दे की पथरी: यह सबसे आम प्रकार की पथरी है। यह कैल्शियम, ऑक्सालेट, यूरिक एसिड, या सिस्टीन से बन सकती है।

पित्ताशय की थैली की पथरी: यह पित्त के रस में मौजूद कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों से बनती है।

मूत्राशय की पथरी: यह मूत्र में मौजूद खनिजों और लवणों से बनती है।

लार ग्रंथियों की पथरी: यह लार में मौजूद खनिजों और लवणों से बनती है।

पथरी के कारण:

पानी की कमी: शरीर में पानी की कमी होने से पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है।

आहार: कुछ खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन, जैसे कि प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थ, ऑक्सलेट युक्त खाद्य पदार्थ, और वसायुक्त खाद्य पदार्थ, पथरी बनने की संभावना बढ़ा सकते हैं।

मोटापा: मोटापे से ग्रस्त लोगों में पथरी बनने की संभावना अधिक होती है।

मधुमेह: मधुमेह से ग्रस्त लोगों में पथरी बनने की संभावना अधिक होती है।

आनुवंशिकी: यदि आपके परिवार में किसी को पथरी हुई है, तो आपको भी पथरी होने की संभावना अधिक होती है।

पथरी के लक्षण:

पेट में दर्द: पथरी के कारण पेट में तेज दर्द हो सकता है।

पीठ में दर्द: पथरी के कारण पीठ में दर्द हो सकता है।

पेशाब में जलन: पथरी के कारण पेशाब में जलन हो सकती है।

उल्टी और मतली: पथरी के कारण उल्टी और मतली हो सकती है।

पेशाब में खून आना: पथरी के कारण पेशाब में खून आ सकता है।

पथरी का इलाज:

पानी पीना: पथरी का सबसे अच्छा इलाज है खूब पानी पीना।

दवाएं: पथरी के आकार और प्रकार के आधार पर डॉक्टर दवाएं लिख सकते हैं।

ईएसडब्ल्यूएल: ईएसडब्ल्यूएल (एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी) एक गैर-आक्रामक प्रक्रिया है जिसमें ध्वनि तरंगों का उपयोग करके पथरी को तोड़ा जाता है।

पीसीएनएल: पीसीएनएल (पर्क्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें त्वचा के माध्यम से एक छोटा सा चीरा लगाकर पथरी को हटाया जाता है।

यूआरएसएल: यूआरएसएल (यूरेटरोस्कोपिक लिथोट्रिप्सी) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें मूत्रमार्ग के माध्यम से एक छोटा सा कैमरा और लेजर उपकरण डालकर पथरी को तोड़ा जाता है।

पथरी से बचाव:

खूब पानी पिएं: प्रतिदिन कम से कम 2-3 लीटर पानी पीएं।

स्वस्थ आहार लें: प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थ, ऑक्सलेट युक्त खाद्य पदार्थ, और वसायुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।

वजन नियंत्रित करें: स्वस्थ वजन बनाए रखें।

नियमित व्यायाम करें: नियमित रूप से व्यायाम करें।

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